५३६ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय कोई भी एशियाई, जबतक वह यह सिद्ध न कर सके कि वह युद्धसे पूर्व एक वैध नागरिक था, फिर वह सुशिक्षित भी क्यों न हो, अधिकारके रूपमें उपनिवेश में प्रविष्ट होनेका दावा नहीं कर सकता था । साम्राज्यके अन्य किसी भी भागमें ऐसी स्थिति नहीं है; तथापि यह अनिच्छापूर्वक महामहिम सम्राट्की सरकार द्वारा स्वीकार कर ली गई। वैध निवासियों की शिनाख्त के लिए बनाई गई कड़ी धाराओंसे बड़ा तीव्र और कटु विवाद उठ खड़ा हुआ, यद्यपि ट्रान्सवाल सरकारने यह घोषित किया कि व्यापारके जाली कागजातकी बिक्रीसे ऐसा करना आवश्यक हो गया है। यह विवाद केवल कुछ महीनेके लिए १९०८ के एक संशोधन कानूनसे कुछ कम हुआ । इधर एक ओर भारतीयोंने सोच-विचारकर कानूनके विरुद्ध सत्याग्रहकी नीति स्वीकार की, दूसरी ओर भारतीयोंको जेलमें भेजने और निर्वासित करनेकी कुछ घटनाओंसे उधर भारतमें रोषकी भावना जाग्रत हुई; दक्षिण आफ्रिकामें इसकी सचाई और गुरुतापर बहुत ही कम ध्यान दिया गया । केप ऑफ गुड होप और ऑरेंज फ्री स्टेट केप उपनिवेशमें, जहाँ केवल वे भारतीय ही प्रविष्ट होने दिये जाते थे जो शिक्षा-परीक्षा पास कर सकते थे, और ऑरेंज फ्री स्टेटमें, जहाँ एशियाई प्रश्न कभी उठा ही नहीं था, पिछले कुछ अरसेमें ऐसा कुछ नहीं हुआ है जिसकी ओर ध्यान देना आवश्यक हो । केवल एक दो शिकायतें इसकी अपवाद हैं : कुछ पुराने निवासियोंको, जो अस्थायी अनुमतिमत्र लेकर भारत वापस चले गये थे, कानूनी बारीकियोंके आधारपर केप कालोनी में फिर प्रविष्ट नहीं होने दिया गया और इससे कष्ट हुआ । दक्षिण आफ्रिका संघ संघ अधिनियम के अंतर्गत जिन मामलोंमें एशियाइयोंपर भेदभावकारी प्रभाव पड़ता है, उन्हें संघ- सरकार के लिए सुरक्षित कर दिया गया था । संव-सरकारने अभी हाल्के संसदीय अधिवेशनमें एक प्रवासी विधेयक प्रस्तुत किया जिसका उद्देश्य इस प्रश्नका अन्तिम निर्णय करना था । यह विधेयक अधिवेशनके अन्तमें वापस ले लिया गया, किन्तु यह मालूम हुआ कि यह विषय फिर उठाया जायेगा । इस बीच संव- सरकारने एक अस्थायी समझौता कर लिया है जिसके फलस्वरूप सत्याग्रह आन्दोलन बन्द कर दिया गया है । भारतसे नेटालको गिरमिटिया मजदूरोंका प्रवास बन्द होनेसे संघमें अशिक्षित वर्गोंके भारतीयोंकी भर्ती और भी रुक गई है । इस प्रकार दक्षिण आफ्रिकामें आगे व्यावहारिक समस्या यहाँ रहनेवाली एशियाई आबादीके प्रशासनकी होगी जो नेटालमें ही खासी बड़ी संख्या में हैं ।... नीतिके प्रश्न इससे पहले दिये गये संक्षिप्त विवरणसे प्रकट होता है कि भारतीयोंके प्रवासका प्रभाव विभिन्न रूपोंमें और विभिन्न मामलोंमें कई उपनिवेशोंपर पड़ता है । किन्तु कहा जा सकता है कि यह प्रश्न तीन शीर्षकोंके अन्तर्गत आता है : (१) नये प्रवासियोंका प्रवेश । (२) जिन भारतीयोंको प्रवेश करने दिया गया है उनका दर्जा और उनकी अवस्था । (३) उपनिवेशीय समुद्रोंमें चलनेवाले जहाजोंमें भारतीयोंकी नियुक्ति । (१) प्रवासियोंका प्रवेश महामहिम सम्राट की सरकार इस सिद्धांतको पूर्णतः स्वीकार करती है कि प्रत्येक उपनिवेशको यह निर्णय स्वयं करने दिया जाना चाहिए कि वह अपने यहाँ किन लोगोंको बसने देना चाहता है । जिम्मेदार भारतीयोंका तो नहीं किन्तु कुछ भारतीय वढी उग्रताके साथ कहते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्यका सदस्य होनेसे किसी भी ब्रिटिश प्रजाजनको साम्राज्यमें जहाँ चाहे वहाँ रहनेका अधिकार होना चाहिए । सर्वसम्मत राजनीतिक तथ्योंसे यह तर्क रद हो जाता है। साथ ही यह मानना भी बहुत महत्त्वपूर्ण है कि बादशाह के Gandhi Heritage Portal
पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 11.pdf/५७४
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