इसे नहीं भूलना चाहिए कि हमारी जैसी याचना होगी वैसे ही देव हमें प्राप्त होंगे। तुलसीदासने रामकी मांग की इसीलिए कृष्ण श्री राम बने। और लक्ष्मीजी सीता। मगनभाईकी खांसी दूर करो, उसके कारणकी खोज करो।
मोहनदासके आशीर्वाद
महात्मा गांधीना पत्रो और जीवनना भरणा
२९०. पत्र: मगनलाल गांधीको
७, बिटेनसिंगल रविवार,
फाल्गुन सुदी १०, [मार्च ८, १९१४]
आशा है, तुम श्री ऐंड्रयूजको ४४ सिटी रोड, बरसिंघमके पतेपर 'इंडियन ओपिनियन' को छ: प्रतियाँ भेजते जा रहे हो। अगले अंकके बाद उन्हें ये छ: प्रतियां उनके शान्ति-निकेतन, बोलपुर, बंगालके पतेपर भेजना। श्री पियर्सनको उसी पतेपर एक प्रति भेजना ठीक होगा।
नेपालके जल मरनेके सम्बन्धमें मैंने कुछ-एक विचार रावजी भाईको लिखे हैं। वह पत्र तुमने न पढ़ा हो तो पढ़नेके लिए माँग लेना।
हमारे साथ [भारत ] जानेवाले व्यक्तियोंकी सूची संलग्न है। वे सबके सब साथ जायेंगे अथवा नहीं, यह नहीं कहा जा सकता। जिन व्यक्तियोंके सामने प्रश्न-चिह्न लगाया है उनके सम्बन्धमें निश्चय करना बाकी है। मन कुप्पूको लिखा है। तुम उससे फिर कहना कि वह अपने पितासे पूछकर निश्चित करे। छगनलालके साथ सलाह करना। इस सूचीमें सम्भवतः और नाम भी जोड़े जायें। जिन नामोंके आगे मैंने प्रश्नचिह्न लगाया है उनके अतिरिक्त सभीके बारेमें मैंने तय कर लिया है। मैं जानता हूँ कि यह सब बालूकी भीत खड़ी करनेके समान होगा। सम्भवतः समझौता न हो और अन्य अनेक घटनाएँ भी घट सकती हैं। फिर भी, यदि समझौता हो तो हमें तुरन्त प्रस्थान कर देना है। इसकी पूरी तैयारी कर रखना आवश्यक है। केलेका आटा यहाँ बनाया जाता है। इसके लिए यहाँ प्रर्याप्त सुविधाएँ हैं और केले भी मिलते हैं। मैं समझता हूँ कि रास्तेके लिए केलेके आटेके बिस्कुट होनेपर किसी अन्य चीजकी आवश्यकता नहीं रहेगी और यदि केले न हों तो भी हम काम चला सकते हैं। सबके
१. अन्तिम चार अनुच्छेद जीवनर्नु परोढसे लिये गये है, जिसमें यह पत्र दो भिन्न तिथियों के अन्तर्गत दो हिस्सोंमें दिया गया है।
२. यह पत्र श्री सी० एफ० ऐडयज़के दक्षिण आफ्रिकासे रवाना होनेके बाद लिखा गया था । फाल्गुन सुदी १० जिस दिन पड़ी थी उस दिन शनिवार था, लेकिन यहाँ रविवारका उल्लेख है; इसलिए यहाँ जो अंग्रेजी तारीख दी जा रही है वह वारके अनुसार दी जा रही हैं, तिथिके अनुसार नहीं।