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पत्र : छगनलाल गांधीका


जाये कि जिससे हमें और दूसरोंके लिए भी मोक्ष-प्राप्ति सुगम हो सके। जिन्दगीका रहस्य यही जान पड़ता है और इसीमें खुद अपनी सेवा, कुटुम्ब-सेवा, समाज और राज्यकी सेवा आदिका समावेश हो जाता है। पर जबतक यह स्थिति प्राप्त न हो जाये तबतक हमें रुकना नहीं है।

इस प्रकारके आचरण और व्यवहारमें जो लोग शरीक होंगे वे भी कुटम्बी ही माने जायेंगे। इसमें रावजीभाई, मगनभाई, प्रागजी और जो भी अन्य शामिल होना चाहेंगे, उन्हें ले लिया जायेगा। और जो कहीं मेरी अकाल मृत्यु हो जाये तो मेरा यही कहना है कि तुम सभीको इसी ढंगसे जीवन-यापन करना चाहिए। तुम्हें फीनिक्स एकाएक नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि इन उद्देश्योंको ध्यानमें रखकर यहीं रहना चाहिए। मगनलालपर तो मुझे पूरा भरोसा है। जमनादासको ढाला जाये तो उसमें वह सत्व है। उसमें लगन भी है।

मेरी मत्य हो जानेकी हालतमें जिन विधवाओंका मुझपर भार है, उनके लिए तुम्हें डॉ. मेहतासे पैसा लेना होगा। यदि उनसे यह पैसा न मिल पाये तो तुम लोग, जो ऊपर निदिष्ट उद्देश्योंको अपनाना स्वीकार करते हो, अनेक कष्ट सहन करते हए प्रयत्नपूर्वक इसे पूरा करना। हरिलालको अपना निर्वाह स्वयं करना होगा। वह बच्चोंको तुम लोगोंके पास या देशमें किसीके पास छोड़ दे। फूलीके पास पैसा है, अतः उसे देनेकी बात ही नहीं रह जाती। अब बची गोकीबहन', नंदकोर भाभी और गंगा भाभी तथा गोकुलदासकी बहू। वे यदि साथमें रहना चाहें तो उनकी मेहरबानी; बल्कि उनके लिए गौरवास्पद! यदि न रहें तो प्रत्यकके जुदा-जुदा निर्वाहकी व्यवस्था की जाये। बच्चे उन्हींको सौंप दिये जायें; पर उनका दूसरोंके साथ रहनको आना अधिक अच्छा होगा। यदि यह सम्भव हो जाये तो उनके पोषणका भार कुल मिलाकर ४० रुपये मासिकसे अधिक नहीं पड़ेगा। बा का भी यही खर्च माना जाये। बा को तो यह समझ लेना चाहिए कि उसे इनके साथ ही रहना है। वह भी बच्चोंको [सम्मिलित व्यवस्था में] सौंप दे। जो लड़के अपनी माँका भार उठाना चाहें उन्हें तो छूट है ही। ऊपरके ये सुझाव उन लड़कोंके लिए हैं जो हमारी मदद चाहते हैं। हरिलाल यदि वा का भार उठाना चाहे और उसे अपने साथ रखें तो अच्छा है। नन्दकोर भाभीको और भी ठीक। फिर तो रह जाती हैं गोकी बहन, गोकाकी बहू और गंगा भाभी। काकू यदि अपनी माँका भार उठा ले तो भी ठीक, और शामलदास अपनी माँका। अब जो निराधार रह जायें उनके लिए ऊपर सुझाया मार्ग ही बचता है। तुम लोगोंकी जैसी रहन-सहन होगी उससे अधिककी आशा न किसीको रखनी चाहिए और न कोई रखेगा ही। मैं तो इसी प्रणालीको श्रेष्ठ मानता हूँ और इसलिए मुझे ऊपर लिखे

१. रळ्यिातवेन, गांधीजीको बहन ।

२. लक्ष्मीदास गांधीकी विधवा ।

३. करसनदासकी विधवा ।

४. गांधीजीके भांजे जिनका अपने विवाहके पन्द्रह दिनके बीच ही देहान्त हो गया ।

५. गांधीजी के बड़े भाई लक्ष्मीदास गांधीके पुत्र ।