पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/४१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३७६
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


ये विचार कठोर नहीं प्रतीत होते। ये विचार गरीबीकी भूमिकापर प्रतिष्ठित है, और यही समुचित भूमिका जान पड़ती है।

मेरे न रहनेपर यह पत्र चाहे जिसे दिखाया जा सकता है। अभी तो मगनलाल, रावजीभाई, मगनभाई, प्रागजी और जमनादास पढ़ लें। मेरी इतनी ही अपेक्षा है कि तुम लोग इसकी अन्यत्र चर्चा न करो। और यदि तुम्हें लगता हो कि इन सबको न पढ़ाया जाये तो जिन्हें तुम उचित समझो, केवल उन्हींको दिखाओ।

मुझे लगता है कि यह पत्र अपने में इतना परिपूर्ण है कि तुम्हारे मन में आनेवाले दूसरे प्रश्नोंका जवाब भी इसी में मिल सकेगा। फिर भी अगर तुम्हें कुछ छटा हुआ प्रतीत हो तो मझे अवश्य पछ लेना। यदि मेरे साथ चर्चा करनी हो तो अप लिख रखना। जहाँ मतभेद हो, निर्भयतापूर्वक उसे भी सूचित करना। यदि स्वयं तुम्हें यह जवाबदारी भारी जान पड़े तो वह भी सूचित करना। तुम्हें जो-जो ठीक जान पड़े उस सबकी चर्चा करना।

मोहनदासके आशीर्वाद

[पुनश्चः]

मणिलाल वहाँ नहीं है, अन्यथा उसे भी इसे पढ़ जानेकी इजाजत दी होती। अभी इस पत्रकी नकल कर लेना और यदि उचित समझो तो डाकसे रजिस्ट्री करके उसके पास पढ़ने के लिए भेज देना और वापस मॅगवा लेना।

[गुजरातीसे]
गांधीजीनी साधना

२९२. पत्र : सी० एफ० ऐंड्यूजको

केप टाउन
मार्च १३, १९१४

प्रिय चार्ली,

जहाजसे भेजा तुम्हारा सन्देश और लन्दनसे भेजा तुम्हारा तार-दोनों मिल गये। रायटरके प्रतिनिधिसे तुम्हारी भेंटके' विवरणका सारांश रायटरके तारमें भी दिया गया

१. यह भेंट श्री ऐंड्यजके लन्दन पहुँचनेके बाद मार्च १० को हुई थी। श्रीमती सरोजिनी नायडूके तत्वावधानमें भारतीयोंने उनके स्वागतमें एक समारोह किया था। समाचार पत्रोंमें कहा गया था कि ....श्री ऐड्यजने रेलवे हड़तालके दौरान सरकारको परेशानीमें न डालनेके लिए सत्याग्रह बन्द कर देनेकी श्री गांधीकी शरतापूर्ण देशभक्तिकी सराहना की। उन्होंने भारतीयोंके धैर्य और वीरताकी सराहना की और साथ ही संघ सरकार द्वारा उनके अपने साथ किये गये उदार तथा समुचित व्यवहारकी भी । उन्होंने कहा कि वे जनरल बोयाके खरे चरित्र और उनके स्वभावकी सरलतासे अत्यधिक प्रभावित हुए है। साबमें यह भी कहा कि जनरल बोयाने उनको आश्वस्त किया है कि भारतीयोंके साथ न्याय करानेकी दिशामें वे जो भी कर सकते हैं, करेंगे।"