पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 12.pdf/४२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३८५
पत्र : जमनादास गांधीको


जो शष रह गये उनमें से खानेका आग्रह किया। मैंने इनकार किया। व्रत तो चल रहा है। किन्तु जीभ और आँख कुत्तों-जैसी [लालची] है। आँख जब देखती है तब अदरक खानेकी इच्छा होती है। जीभ उसके लिए तड़पती रहती है। किन्तु जिस प्रकार जूठनके ऊपर आँख गड़ाये बैठा हुआ कुत्ता अपने स्वामीको देखकर उसपर लपकनेको हिम्मत नहीं कर सकता उसी प्रकार जीभ भी, यह जानकर कि आत्मारामजी सब देख रहे हैं, उस अदरकको छूनेकी हिम्मत नहीं कर सकती। अदरक तो सारे दिन मेरी आँखोंके सामने पड़ा रहता है। जहाँ मेरे कागज पडे हए हैं वहीं वह पड़ा हुआ है। इस समय मेरी दशा ऐसी है कि शकर और नमक छोड़ने में मुझे जैसी कठिनाई नहीं हुई वैसी कठिनाई अपनी वृत्तिको अदरकसे खींचने में हो रही है।

अब तुम अपना दोष क्या निकालोगे? मनको मद्य पी कर मत्त बने हुए बन्दरकी उपमा दी गई है, सो गलत नहीं है। तुम मेरे पाससे ज्ञान सीखने की बड़ी-बड़ी आशाएँ रखते हो, लेकिन कैसे? हम सब एक ही टूटी नावमें बैठे हैं; उसमें अनुभवरूपी ज्ञान मेरे पास कुछ अधिक होगा और यदि इसलिए मैं जहाँ बताऊँ तुम वहाँ रखो तो भले रखो। लेकिन सच तो यह है कि हम सब अँधेरेमें हैं और उसी एक वस्तुकी खोज कर रहे हैं। हो सकता है, मेरे पाँव ज्यादा जोरसे पड़ते हों, उन्हें अपनी शक्तिका ज्यादा विश्वास हो। किन्तु मेरे प्रति इससे ज्यादा सम्मानकी भावना रखना तुम्हारे लिए अपनी उन्नतिका रास्ता रोकने-जैसा होगा। जब मैं अपनी सारी इच्छाओंपर विजय पा लूंगा तब अवश्य मैं तुम्हें या दूसरोंको निस्संकोच ज्ञानका उपदेश करूँगा। अभी तो हम एक साथ ताकत लगाकर मोक्षदाता नारायणकी खोज करें और उस खोज में, भूल होने, गिरने या चोट खानेकी परवाह न करते हुए, हिम्मत और धीरजके साथ आगे बढ़ते रहें।

मोहनदासका यथायोग्य

[गुजरातीसे]
गांधीजीनी साधना और जीवनन परोढ़

२९९. पत्र: जमनादास गांधीको

[केप टाउन] फाल्गुन बदी ११ [मार्च २२, १९१४]

चि० जमनादास,

तुम्हारे दो पत्र आज ही मिले हैं। शनिवारको हमेशा डाक दो बार आती है। नीमके पेड़के बारेमें रुस्तमजी सेठ तथा भाई मोतीलालजीको लिखना। मगनलाल उसका पौधा ढूंढ़ कर लगा दें तो अच्छा। श्री कैलेनबैककी खोजके अनुसार मैकरोनी खाई तो जा सकती है किन्तु वह अमुक स्थानकी ही। लेकिन इसमें एक बड़ा दोष यह है कि वह मांसाहारी लोगों द्वारा बनाई गई वस्तु है और उसके बारेमें हम

१. मोतीलाल एम० दीवान; नेटालके एक प्रमुख भारतीय ।

१२-२५

Gandhi Heritage Portal