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पत्र : महात्मा मुंशीरामको


अन्त होगा। फिलहाल तो ऐसे बहुत-से लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जिनसे आशा बँधती है कि उसका अन्त होगा। किन्तु, जब राम-जैसे महापुरुष नहीं जान सके कि कल क्या होनेवाला है तब हमारी क्या बिसात कि भविष्य में क्या होगा, यह कह सकें?

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, २५-३-१९१४

३०३. भाषण : केप टाउनके स्वागत-समारोहमें

[मार्च २५, १९१४]

श्री गांधीने समारोहमें उपस्थित व्यक्तियोंको धन्यवाद दिया तथा श्रीमती गांधीकी बीमारीमें उनकी तथा अपनी सेवाके लिए श्री और श्रीमती गुल तथा उनके परिवारके अन्य सदस्यों तथा समय-समयपर श्रीमती गांधीका समाचार पूछने आनेवाले और फलादि लानेवाले मित्रों के प्रति भी आभार प्रकट किया। उन्होंने आयोगके प्रतिवेदन (रिपोर्ट) का क्या-कुछ असर हो सकता है, इसे स्पष्ट किया और बहुत जोर देकर समझाया कि हिन्दू और मुसलमान भाई बनकर रहेंगे तो उससे समाजका भला होगा। उन्होंने बताया कि हर कौम अपने धर्मका पालन करते हुए भी एकताके साथ रह सकती है।

[गुजरातीसे]
इंडियन ओपिनियन, १-४-१९१४

३०४. पत्र: महात्मा मुंशीरामको

फीनिक्स
नेटाल
मार्च २७, १९१४

प्रिय महात्मा जी,

श्री ऐंड्रयूज़ मुझे आपके नाम और कामके बारेमें बतला चुके हैं। इसलिए ऐसा नहीं लगता कि मैं किसी अजनबीको लिख रहा हूँ। आशा है, इस सम्बोधनके लिए आप मुझे क्षमा करेंगे। क्योंकि मैं और श्री ऐंड्रयूज दोनों ही आप और आपके कामके

१. हिन्दू सभाके तत्वावधानमें भारतीयोंकी एक सभा गांधीजी, श्रीमती गांधी और इमाम अब्दुल कादिर बावजीरके सम्मानार्थ आयोजित की गई थी। पाटीदार समितिने गांधीजीको इस अवसरपर ७ पौड और १० शिलिंगकी एक रकम उनके निजी उपयोगके लिए भेंट की।

२. (१८५६-१९२६); बादमें स्वामी श्रद्धानन्दके नामसे प्रसिद्ध; हरिद्वारके निकट काँगड़ी में गुरुकुलके संस्थापक; एक प्रगतिशील हिन्दू नेता, जिनको एक धर्मान्ध मुसलमानने मार डाला था ।