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पत्र : मणिलाल गांधीको


नरम खोपरा भी ले लेता हूँ। टमाटर मॅहगा है, इसलिए केवल उन लोगोंके लिए मंगाया जाता है जिनका काम उनके बिना नहीं चलता। सभी एक समय खाकर नहीं रहते। रावजी भाई और मैं, केवल दो ही, एक समय खाते हैं। रामदासने भी एक महीने तक एक वक्त खाकर काम चलाया। सोमवार और शुक्रवारको सभी अलोना भोजन करते हैं।

मैं यह तो नहीं समझ पाया कि लोग १० वें दिनकी बजाय हर पखवाड़ेके ११ वें दिन, एकादशीको उपवास क्यों करते हैं। किन्तु यह तो स्पष्ट ही है कि १५ दिनमें मान्य भोजन छोड़ देने से शरीर और मन शुद्ध हो जाता है। हम चाहते हैं कि स्वादेन्द्रियको जीत लें; किन्तु पूरी तरह नहीं जीत पाते, इसलिए १५ दिनमें एक बार मानो प्रायश्चित्त करते हैं। इसके सिवाय हम अनेक मानसिक पाप करते हैं और इस प्रकार हर १५वें दिन उसका जमा-बाकी करके अपनी अधम स्थितिका अनभव करते है। एकादशीका व्रत केवल उपवास करनेसे ही पूरा नहीं हो जाता। वह दिन धर्म-विचारमें व्यतीत होना चाहिए।

मैने तुम्हें दो किताबें भेजनके लिए कह दिया है। उनके साथ ही गीताजीकी जो नकल तुमने की है वह भी भेज दी जायेगी।

"सच पासेथ फ्रॉम ऑल, प्लेनिंग टु ब्लेस्ट निर्वाण" - यह "स शान्तिमधिगच्छति" का अनुवाद है। अर्थात् उसे शान्ति मिल जाती है। जो मनुष्य कामरहित हो जाता है, ममत्वरहित हो जाता है, अहंकाररहित हो जाता है, उसे शान्ति मिल जाती है। अंग्रेजीमें केवल "प्लेनिंग" है। “एक्स" लुप्त है। अर्थात् वह “एक्सप्लेनिंग" है। ऐसा व्यक्ति सब झंझटोंसे (अर्थोंसे)[१]मुक्त हो जाता है और सुखपूर्ण निर्वाण प्राप्त करता है।

जो हमेशा सवेरे उठता है, उसे रविवारको अपवाद नहीं मानना चाहिए। यदि हम ऐसा करें, तो हम बड़ी फिक्रसे रविवारका रास्ता देखने लगेंगे। इसलिए यदि तुम यह आदत डालना चाहते हो, तो तुम्हें दूसरे दिनोंकी तरह रविवारको भी उसी समय उठना चाहिए।

बापूके आशीर्वाद

[पुनश्च :]

स्वामी मंगलानन्दपुरी दो दिनसे यहाँ आये हुए हैं। कल चले जायेंगे।

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती (सी० डब्ल्यू. ९६) से।

सौजन्य : सुशीलाबेन गांधी

  1. १. धर्म, अर्थ और काम ।