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६५. भाषण : लक्ष्मी मेमोरियल आर्य पाठशाला, मद्रासमें

अप्रैल २९, १९१५

श्री गांधीने उत्तर देते हुए कहा : श्री एन० स्वामीनाथ अय्यरने, पाठशालाके चलते हुए हमें उसका निरीक्षण कराया। मेरी पत्नी और में इसके लिए उनके अत्यन्त आभारी हैं। श्री सी० रामानुजम चेटियर-जैसे दानी पाठशालाके संरक्षक हैं, इसके लिए में पाठशालाको बधाई देता हूँ।

[ अंग्रेजीसे ]

न्यू इंडिया, ३०-४-१९१५

६६. मद्रासके गुजरातियोंके मानपत्रका उत्तर

अप्रैल २९, १९१५

श्री लाड गोविन्दवासके निवासस्थान गोविन्द विलास, पीटर्स रोड, रायपेटामें,कल शामको गांधी-दम्पतीके सम्मानमें गुजराती समाजकी ओरसे एक भोज दिया गया;उसमें मद्रासके प्रायः सभी वर्गोंके प्रमुख भारतीय निमन्त्रित थे। बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए। श्री गांधीको बीचमें बिठाकर एक सामूहिक फोटो भी लिया गया ।श्री लाड गोविन्ददासने अपने संक्षिप्त भाषणमें कहा कि गुजराती समाजको इस बातका सचमुच गवं है कि उसमें श्री गांधी-जैसे महान् पुरुष मौजूद हैं। दीवान बहा-दुर गोविन्ददास चतुर्भुजदासने गुजरातीमें मानपत्र पढ़ा।

श्री गांधीने गुजरातीमें उत्तर देते हुए गुजराती समाजका ध्यान इस महत्त्वपूर्ण तथ्यकी ओर आकर्षित किया कि मद्रासमें उनका कल्याण भी उसी बातमें है जिसमें दूसरे समाजोंका है; और इसलिए उन्होंने जोर देकर कहा कि गुजरातियोंका दूसरोंके साथ मिलकर काम करना आवश्यक है। उन्होंने मद्रास शहर और प्रान्तमें इतने अधिक गुजरातियोंको स्थान देनेके लिए वहाँके लोगोंके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

श्री लाड गोविन्ददासने मद्रासके गुजराती समाजके सदस्यों और गुजराती भाषी लोगोंकी ओरसे श्री गांधीको एक थैली भेंट की।


१. थम्बू चेट्टी स्ट्रीटमें ।

२. जॉर्जटाउन रंजके स्कूलोंके उपनिरीक्षक ।