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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

श्री गांधीने थैलीको धन्यवादपूर्वक स्वीकार करते हुए कहा कि वे कभी किसीसे भी किसी प्रकारकी भेंट नहीं लेते; और इसलिए वे उसे सार्वजनिक काममें खर्च करनेके लिए दे देंगे।

[अंग्रेजीसे]

न्यू इंडिया, ३०-४-१९१५

६७. भाषण : ट्रेंकेबारके स्वागत-समारोहमें

अप्रैल ३०, १९१५

कल ट्रॅकेवार और उसके उपनगरोंके लोगोंकी ओरसे श्री गांधी और उनकी पत्नीका जबर्दस्त और उत्साहपूर्ण स्वागत किया गया। विभिन्न वर्गोंका प्रतिनिधित्व करने- वाले २,००० से अधिक लोग, मुख्यतः सत्याग्रही, इकट्ठे हुए थे...। बैरिस्टर श्री के० सी० सुब्रह्मण्यमने मानपत्र पढ़ा...।

स्वनामधन्य अतिथिने उचित शब्दोंमें मानपत्रका उत्तर दिया और अपने साथी कार्यकर्ताओंसे अनुरोध किया कि जब-कभी और जहाँ भी वैधानिक आन्दोलन करनेकी आवश्यकता हो, वे सत्याग्रहका आश्रय लें।

लोगोंने उनका भाषण तन्मयतासे सुना । उसका भाषान्तर भी साथ-साथ किया जा रहा था।

उसके बाद माननीय श्री वी० एस० श्रीनिवास शास्त्रीसे भाषण देनेकी प्रार्थना की गई। उन्होंने श्रोताओंसे अपने देशके लिए काम करनेका अनुरोध किया।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १-५-१९१५

६८. ट्रेंकेबारमें दक्षिण भारतीय दलित वर्ग संघके
मानपत्रका उत्तर

अप्रैल ३०, १९१५

दक्षिण भारतीय दलित वर्ग संघने पृथक मानपत्र दिया।

श्री गांधीने उत्तर देते हुए कहा कि हमारे देशमें इस वर्गकी ओर तबतक अधिक ध्यान देने और उसके लिए निष्ठापूर्वक लगनके साथ व्यावहारिक काम करनेकी आवश्यकता है जबतक यह लज्जाजनक अन्तर नहीं मिट जाता, कथित-दलित लोगोंका दर्जा नहीं उठता और उन्हें समान अधिकार प्राप्त नहीं होते।

[ अंग्रेजीसे ]

हिन्दू, १-५-१९१५

१. मद्रास राज्यमें ।