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६९. भाषण : मायावरम्‌के स्वागत समारोहमें

मई १, १९१५

इसे आप नगर कहें या गाँव, यहाँसे गुजरते वक्त इस अत्यन्त सुन्दर मानपत्रको भेंट करनेके लिए मैं मायावरम्‌के लोगोंका बहुत ही आभारी हूँ। हम दक्षिण आफ्रिकामें आठ वर्ष तक जारी रहनेवाले संघर्षके दौरान मारे गये दो व्यक्तियोंकी विधवाओंसे भेंट कर सकनेकी आशासे एक जगह गये थे; यह स्थान उसीकी रामें है। मैं उन महिलाओंमें से सिर्फ एकसे मिल पाया, दूसरीसे नहीं; फिर भी आशा है कि इस महान प्रान्तसे जानेके पहले दूसरी महिलासे भी भेंट कर पाऊँगा। हालाँकि हम सिर्फ माया- वरम्के रास्तेसे गुजर रहे थे, फिर भी आपने हमें बिना सत्कारके जाने नहीं दिया, इस बातसे मुझे बहुत प्रसन्नता हुई है। इस पवित्र भूमिमें आने पर प्रथम बार जब आपने हमारा अत्यन्त सुन्दर और स्नेहपूर्ण सम्मान किया है और जब हमने, हम पर आपने जो स्नेह वर्षा की है, उसे समझ लिया है तो आपकी आज्ञासे मैं आजकी शाम उसका कुछ प्रतिदान करनेकी चेष्टा करना चाहता हूँ ।

यह बिलकुल ही संयोगकी बात है कि मुझे अपने पंचम [ वर्णके ] भाइयोंसे मान- पत्र पानेका सम्मान प्राप्त हुआ और उसमें उन्होंने कहा कि उन्हें पीनेके पानीकी सुविधा नहीं है, उन्हें जीवन-निर्वाहके लिए आवश्यक वस्तुएँ नहीं मिलतीं और वे न जमीन खरीद सकते हैं, न अपने पास रख सकते हैं। न्यायके लिए उनका अदालतमें जाना भी मुश्किल है। सम्भवतः अन्तिम बातका कारण उनका भय हो हो । परन्तु इस भयके लिए निश्चय ही वे स्वयं दोषी नहीं कहे जा सकते । तब फिर इस स्थितिके लिए कौन जिम्मेदार है? क्या हम इस स्थितिको बनाये रखना चाहते हैं? क्या यह हिन्दू-धर्मका अंग है ? मेरी समझमें ऐसा नहीं है । अब मुझे शायद यह जानना पड़ेगा कि वास्तवमें हिन्दू धर्म क्या है। हिन्दुस्तानके बाहर रहते हुए मैं हिन्दू धर्मका जो अध्ययन कर सका हूँ उससे मैंने अनुभव किया है कि अपने अन्तर्गत “अछूत" कहे जानेवाला एक समाज बना छोड़ना, सच्चे हिन्दू धर्ममें नहीं आता। यदि कोई यह सिद्ध कर दिखाये कि यह हिन्दू धर्मका एक आवश्यक अंग है तो कमसे कम मैं हिन्दू धर्मके विरुद्ध विद्रोह घोषित कर दूंगा । ( हर्ष-ध्वनि) | इस बातपर कि यह हिन्दू-धर्मका आवश्यक अंग है, मुझे विश्वास नहीं है और मैं तो आशा यही करता हूँ कि मृत्युपर्यन्त इसपर विश्वास नहीं करूंगा। अछूतोंके इस वर्गके लिए कौन उत्तरदायी है ? मुझे बताया गया है कि सभी स्थानोंपर ब्राह्मण अधिकारपूर्वक अपनी श्रेष्ठताका लाभ उठा रहे हैं। क्या वे आज भी ऐसा कर रहे हैं? यदि कर रहे हों तो इस पापके भागी वे ही बनेंगे। तो इसी प्रतिदानकी मुझे घोषणा करनी है। और आपने मेरे प्रति जो स्नेह

१. विक्टोरिया टाउन हॉलमें आयोजित सभामें नगरपालिका अध्यक्षके स्वागत भाषणके उत्तरमें। सभाकी अध्यक्षता माननीय रावबहादुर वी० के० रामानुजाचारियरने की थी ।