पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 13.pdf/१०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
७९
भाषण : नेलौरमें आयोजित छात्रोंकी सभामें

कुछ सीखें और उसे अपने जीवनमें उतारें तो वही उनका सर्वोत्तम स्मारक होगा । मेरा जीवन तो इसीके लिए समर्पित है और मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप हमें बिगाड़ें नहीं; दक्षिण आफ्रिकामें हमने जो-कुछ किया उसकी प्रशंसाका पात्र केवल हमें ही न मानें और उसके लिए अत्यधिक प्रशंसा न करें। मेरी आपसे यही विनय है। दक्षिण आफ्रिकामें जो होना था सो हो चुका । दक्षिण आफ्रिकामें क्या किया गया है, उसे हमारे वहाँ रहनेवाले देशभाई अच्छी तरह जानते हैं। वहाँ हमने जो नाम कमाया उसकी बिना पर यहाँ कुछ भी करना असम्भव है। मुझे लगता है, अत्यधिक प्रशंसासे दो तरहसे हमारा अपकार हो सकता है। एक तो यह सम्भव है कि अभिमानसे हमारा दिमाग फिर जाये और हम देशके किसी कामके न रहें। दूसरे, यह भी हो सकता है कि आप हमसे इतनी बड़ी-बड़ी आशाएँ बाँध लें जिन्हें हम पूरा न कर सकें और अन्तमें निराशा हाथ लगे।

[अंग्रेजीसे]

इंडियन ओपिनियन, ७-७-१९१५

७३. भाषण : नेलौरमें आयोजित छात्रोंको सभामें

मई ६, १९१५

मानपत्र पढ़ा जा चुकनेके बाद श्री गांधीको भेंट किया गया और तब उन्होंने छात्रों को सम्मेलनमें ऐसा महत्त्वपूर्ण भाग लेने और स्वयंसेवकके रूपमें काम करनेपर धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा : इस समय सभामें जो-कुछ कहा गया है जब तक उसको कार्य-रूपमें परिणत नहीं कर दिया जाता और जब तक लोग उस काममें लगनके साथ जुटे नहीं रहते तबतक ऐसे सम्मेलन व्यर्थ हैं। सम्मेलनमें उद्योगोंको प्रोत्साहन देनेके सम्बन्धमें बहुत कुछ कहा गया है; किन्तु जब मैं सार्वजनिक भवनके उस भागमें गया जिसमें बुने हुए और नारायणवनम् और चितूर जिलेसे लाये हुए करधेपर बने कपड़े रखे हैं और वहाँ मैंने उनके मालिकसे पूछा कि वे कितना कपड़ा लाये थे और उसमें से कितना बिका है, तो उन्होंने बताया कि १००० रुपयेके कपड़में से केवल ५० या ६० रुपयेका कपड़ा बिका है। कपड़ा काफी अच्छा है। फिर भी शिक्षित लोगों तकको कुछ रुपया खर्च करके थोड़ा कपड़ा खरीदनेके लिए तैयार नहीं किया जा सका। कमसे- कम यह बतानेके लिए ही कि वे स्वदेशी उद्योगोंसे प्रेम करते हैं, उन्हें कुछ-न-कुछ तो खरीदना ही था। जबतक स्थानीय देशी उद्योगोंको प्रोत्साहन देनेके सम्बन्धमें ऐसी स्थिति है, तबतक प्रगतिकी कोई आशा नहीं है। उन्होंने छात्रोंसे अनुरोध किया कि क्रियात्मक उदाहरण प्रस्तुत करें और केवल भाषण देकर हो सन्तुष्ट न हो जायें।

[अंग्रेजीसे]

न्यू इंडिया, ७-५-१९१५

१. मद्रास प्रान्तीय सम्मेलन; देखिए पिछला शीर्ष।