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भेंट: लखनऊमें

लिखकर भेजते हैं? यदि हिन्दी-भाषामें नहीं भेजते हैं तो हिन्दी-भाषामें लिखकर भेजें। आप लोग कहेंगे कि हिन्दी-भाषामें लिखकर भेजनेसे वे हमारी बात नहीं सुनेंगे। मैं कहता हूँ कि आप अपनी भाषामें बोलें, अपनी भाषामें लिखें। उनको गरज होगी तो वे हमारी बात सुनेंगे। मैं अपनी बात अपनी भाषामें कहूँगा। जिसको गरज होगी, वह सुनेगा। आप इस प्रतिज्ञाके साथ काम करेंगे तो हिन्दी भाषाका दर्जा बढ़ेगा। अभीतक इसका प्रचार सब प्रान्तोंमें नहीं हुआ है। राष्ट्रीय सभामें भी अभी राष्ट्रभाषाका प्रचार नहीं है। यह किसका दोष है? यह दोष आप लोगोंका है। मुझे हिन्दी पढ़नेके लिए एक हिन्दी जाननेवाले मनुष्यकी आवश्यकता थी और है। परन्तु अहमदाबादमें मुझे कोई ऐसा मनुष्य नहीं मिला जो मुझे और मेरे आश्रमवालोंको हिन्दी पढ़ा सके। मद्रासमें अभीतक हिन्दीका प्रचार नहीं हुआ। आपने कोई प्रयत्न ही नहीं किया। दस-पाँच लोग ऐसे जुटाइए जो मद्रास प्रान्तमें जाकर हिन्दीका प्रचार करें। उनको जो वेतन देना उचित है वह दीजिए। इतना रुपया मिलना कुछ कठिन नहीं है; क्योंकि इन सभाओंके करनेमें आप लोग इतना रुपया खर्च कर देते हैं। ऐसा प्रयत्न होगा तब राष्ट्रभाषाका सर्वत्र प्रचार होगा।

महात्मा गांधी
 

२३१. भेंट: लखनऊ में

[दिसम्बर २९-३१, १९१६ के आसपास]

राष्ट्रभाषा

प्र०-क्या आप यह आवश्यक समझते हैं कि राष्ट्रीय सभाका कार्य राष्ट्रभाषा हिन्दीमें ही हुआ करे?

उ०-जरूर। हिन्दी भाषामें जबतक सार्वजनिक सारा कार्य नहीं होगा तबतक देशकी उन्नति नहीं हो सकती। राष्ट्रीय सभामें जबतक राष्ट्रभाषा द्वारा ही सब काम न हो तबतक स्वराज्य नहीं मिल सकता।

प्र०-परन्तु यह कैसे सम्भव है कि सब प्रान्तोंके लोग एकाएक हिन्दी सीख कर हिन्दी बोलने लग जायें?

उ०-मैं यह नहीं कहता कि सब प्रान्त अपनी-अपनी भाषाको छोड़कर हिन्दी बोलने और लिखने लग जायें। जहाँ प्रान्तिक प्रश्न हो वहाँ प्रान्तीय भाषामें काम हो। जहाँ राष्ट्रीय प्रश्न हो वहाँ राष्ट्रभाषामें ही उसका विचार होना चाहिए। यह काम बहुत कठिन नहीं है, और करनेसे सहज हो जाता है। जहाँ आजकल अंग्रेजीसे काम लिया जा रहा है वहाँ हिन्दीसे काम लेना चाहिए।

राष्ट्रीय सभाका ‘स्वराज्य’

प्र० - कांग्रेसने ‘स्वराज्य’ का जो प्रस्ताव पास किया है और जिस ढंगसे उसे अमलमें लानेकी चेष्टा होनेवाली है उसके विषयमें आपकी क्या सम्मति है?

उ०――यह अच्छा हो चाहे बुरा, मेरी उसपर विशेष श्रद्धा नहीं है।