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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सर भालचन्द्रन श्री गांधीको और श्रीमती रमाबाईने श्रीमती गांधीको माला पहनाई। पुष्प-वितरण आदि के पश्चात् समस्त जनसमुदायन जलपानमें भाग लिया।

[ अंग्रेजीसे ]

इंडियन ओपिनियन, १०-३-१९१५

८. भाषण : गुर्जर-सभा द्वारा आयोजित स्वागत समारोहमें

जनवरी १४, १९१५

श्री गांधी और श्रीमती कस्तूरबा गांधीके सम्मानमें १४ जनवरी, १९१५ को मंगल- दास भवनके प्रांगण में गुर्जर-सभा, बम्बईकी ओरसे एक उद्यान-भोज दिया गया। समा- रोहकी अध्यक्षता गुर्जर-सभाके सभापति मुहम्मद अली जिन्ना की। श्री जिन्ना तथा श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशीने (अंग्रेजीमें) बोलते हुए अतिथियोंका स्वागत किया।

श्री गांधीने गुजरातीमें बोलते हुए श्री जिन्नाको समारोहकी अध्यक्षता करनेके लिए धन्यवाद दिया और कहा कि जब मैं दक्षिण आफ्रिका था उन दिनों गुजराति- योंके सम्बन्धमें जब भी कुछ कहा जाता था तो लोग यही मानते थे कि तात्पर्य केवल हिन्दू समाजसे है और पारसियों तथा मुसलमानोंसे उसका कोई सम्बन्ध नहीं है। इसलिए मुझे एक मुसलमानको गुर्जर-सभाके सदस्य और इस समारोहके अध्यक्षके रूपमें देखकर बड़ी प्रसन्नता हो रही है ।

मेरी प्रशंसा और स्वागतमें जो शब्द कहे गये हैं, उनके सम्बन्धमें मुझे नहीं सूझता कि मैं क्या कहूँ। जैसा कि मैं पहले अनेक बार कह चुका हूँ, मैंने और मेरी पत्नीने अपने कर्त्तव्यसे अधिक कुछ नहीं किया है। मैं उसी बातको फिर नहीं कहना चाहता। किन्तु में यह कहना चाहता हूँ कि मैं इन सारी सद्भावनाओं और स्नेहपूर्ण शब्दोंको आपका आशीर्वाद मानता हूँ और ईश्वरसे प्रार्थना करता हूँ कि आपका यह आशीर्वाद मुझे और मेरी पत्नीको ईमानदारीसे अपने देशकी सेवा करनेकी शक्ति प्रदान करे। हमारा इरादा पहले सभी भारतीय प्रश्नोंका अध्ययन करने और तब देशकी सेवा आरम्भ करनेका है। मैं श्री गोखलेको अपना मार्गदर्शक तथा नेता मानता हूँ, और उनमें मेरी पूरी आस्था है। मुझे विश्वास है कि श्री गोखले मुझे कभी भी गलत रास्तेपर नहीं ले जायेंगे। आज सबेरे ही मैं गवर्नर महोदयसे मिला हूँ। मैंने

१. इसका संक्षिप्त विवरण १७-१-१९१५ के गुजरातीमें प्रकाशित हुआ था ।

२. (१८७६-१९४८), मुस्लिम नेता; बादमें पाकिस्तानके संस्थापक और प्रथम गवर्नर-जनरल |

३. (१८८७- ) वकील, राजनीतिज्ञ और लेखक, भारतीय विद्या-भवन के संस्थापक और अध्यक्ष; उत्तर प्रदेशके गवर्नर (१९५२-५७) ।

४. लॉर्ड विलिंग्डन ।