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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

शारीरिक या मानसिक कष्ट न देना । जहाँतक राजनीतिमें सत्याग्रहके प्रयोगका सम्बन्ध है, मैं आप लोगोंको बता देना चाहता हूँ कि सत्याग्रहके शस्त्रको काममें लाना बहुत कठिन है और उसका प्रयोग अन्तिम साधनके रूपमें एवं राष्ट्रीय सम्मान जैसे अत्यन्त प्रिय हितोंके रक्षार्थ ही किया जाना चाहिए। मैं सब तरहके यन्त्रोंका उपयोग करने के विरुद्ध हूँ और केवल हाथकी बनी चीजोंका ही उपयोग करना चाहता हूँ।

सभा जब विसर्जित हुई तब प्रत्येक उपस्थित व्यक्ति यह अनुभव कर रहा था कि वह उनके प्रेरणाप्रद भाषणसे शुद्ध हो गया है।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २१-४-१९१५
५४. भाषण : मद्रासके स्वागत-समारोहमें

अप्रैल २१, १९१५

जब श्री गांधी बोलनेके लिए उठे तो लोगोंने तीव्र हर्ष-ध्वनिसे उनका स्वागत किया।

सभापति महोदय और मित्रो, यहाँ उपस्थित लोगोंने, मद्रास शहरने, और में कहना चाहता हूँ कि इस प्रान्तने हम लोगोंका जो इतना आदर किया है और इस प्रान्त ने -- जो प्रबुद्ध है, पिछड़ा हुआ नहीं -- (हर्ष-ध्वनि) हम लोगोंपर स्नेहकी जो वर्षा की है उसके लिए मेरी पत्नी और में दोनों ही आप लोगोंके अत्यन्त अनुगृहीत हैं। यदि हम लोग किसी बातके अधिकारी हैं- जैसा कि इस सुन्दर मानपत्रमें कहा गया है - तो मैं उसे केवल अपने उन गुरुदेवके चरणोंमें अर्पित कर सकता हूँ जिनकी प्रेरणासे में देशसे दूर रहकर दक्षिण आफ्रिकामें निरन्तर काम करता रहा हूँ। इस मानपत्रके उन भावोंको जिनमें मेरे विषयमें भविष्यवाणी-सी की गई है, मैं इस बड़ी सभाके आशीर्वाद और अपनी इस प्रार्थनाके रूपमें ग्रहण करता हूँ कि ईश्वर मुझे और मेरी पत्नीको इतना बल, ऐसी आकांक्षा और जीवन दे कि इस पवित्र भूमिमें रहते हुए हम लोग जो कुछ पायें उसे मातृभूमिकी सेवामें अर्पित कर दें (हर्ष-ध्वनि) । हमारा मद्रास आना कोई आश्चर्यकी बात नहीं है। कदाचित् मेरे मित्र श्री नटेसन आप लोगोंसे कहें कि हमको यहाँ बहुत पहले आना चाहिए था और हम लोगोंने मद्रासकी उपेक्षा की है। हमने उपेक्षा नहीं की। हम जानते हैं कि आपके दिलोंमें हमारे लिए स्नेह है; और इसलिए हम आश्वस्त थे कि दूसरे प्रान्तों और नगरोंमें जानेसे पहले यदि हम मद्रास न गये

१. मद्रासकी "इंडियन साउथ आफ्रिकन लोग "ने अप्रैल २१, १९१५ को गांधीजीके स्वागतार्थ एक समारोहका आयोजन किया था, डा० सर सुब्रह्मण्य अययरने समारोहकी अध्यक्षता की। श्री जी० ए० नटेसनने मानपत्र पढ़कर सुनाया। समारोहमें श्रीमती एनी बेसेंट, न्यायमूर्ति तैयबजी और श्रीनिवास शास्त्री आदि भी उपस्थित थे ।