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भाषण : मद्रासके स्वागत समारोहमें

तो इसे लेकर आप किसी गलतफहमीमें नहीं पड़ेंगे। १८९६ में मैंने श्री गोखलेको अपना राजनीतिक गुरु माना (हर्ष-ध्वनि) । उसी वर्ष मैंने यह देखा कि मद्रासके लोगोंमें जितनी गहरी धार्मिक भावना है, दूसरे प्रान्तोंके लोगोंमें वैसी नहीं है। मैं आप लोगोंके सामने पहले-पहल १८९६ में एक हारी बाजी लेकर उपस्थित हुआ था। मैं तब आपके लिए एक अजनबी था, मगर मैंने पाया कि मद्रासमें या इस प्रान्तमें अच्छे या बुरेको परखनेकी सहज योग्यता है। उस समय आप लोगोंने उस गम्भीर स्थितिको, जिसे में सारे भारतमें अपने देशवासियोंको समझाना चाहता था, पूरी तरह समझा (हर्ष- ध्वनि), और १८९६ में ही दक्षिण आफ्रिका लौट जानेपर वहाँके अनुभवोंसे भी मेरी इस धारणाकी यथेष्ट पुष्टि हुई। मेरी समझमें दक्षिण आफ्रिकामें मैंने जो थोड़ा-बहुत काम किया उसके महत्त्वका वर्णन इस मानपत्रको तैयार करनेवाले लोगोंने कुछ ज्यादा बढ़ा- चढ़ाकर किया है। ('नहीं, नहीं' की आवाजें)। मैंने अनेक अवसरोंपर कहा है कि भारतके मनसे उस महान् राजनीतिज्ञ महात्मा गोखलेका जादू अभी तक नहीं गया (हर्ष- ध्वनि)। उन्होंने मेरी प्रशंसामें जो कहा उसको आपने बिलकुल सच मान लिया । मुझे उस प्रशंसाने बड़ी विकट स्थितिमें डाल दिया है; विकट इसलिए कहता हूँ कि भविष्यमें देशके कामके विषयमें आपने मुझसे या मेरी पत्नीसे जो आशाएँ बाँध ली हैं, कौन जाने हम उन्हें पूरा कर सकेंगे या नहीं? किन्तु महोदय, आपने इस मानपत्रमें हमारे लिए जिन शब्दोंका प्रयोग किया है यदि हम उसके दसवें भागके भी योग्य हैं, तो फिर आप उन लोगोंके लिए किन शब्दोंका प्रयोग करेंगे जिन्होंने दक्षिण आफ्रिकामें अपने प्राण देकर वहाँ हमारे पीड़ित देशवासियोंके प्रति अपना कर्त्तव्य पूरा कर दिया । - सत्रह-अठारह वर्षके बालक नागप्पन और नारायण स्वामीके लिए आप किस भाषाका प्रयोग करेंगे, जिन्होंने सहज विश्वासके साथ देशकी मानरक्षाके लिए सभी यातनाएँ, कठि- नाइयाँ और अपमान सहे (हर्ष-ध्वनि) । फिर आप, सत्रह वर्षकी उस प्यारी बालिका वलि- अम्माके लिए कैसी भाषाका प्रयोग करेंगे जो मैरित्सबर्ग जेलसे रिहा होनेके समय ज्वरसे पीड़ित होनेके कारण हड्डियोंका ढाँचा-मात्र रह गई थी और उसी ज्वरसे पीड़ित होकर एक महीनेके अन्दर चल बसी (शर्म, शर्मकी आवाजें) । जो परमात्मा हम सब लोगोंपर शासन करता है उसने इस महान कार्यके लिए हम भारतवासियोंमें से केवल मद्रासियोंको ही चुना। क्या आप जानते हैं कि जोहानिसबर्गके उस बड़े शहरमें मद्रासी लोग ऐसे हर मद्रासीको नीची निगाहसे देखते हैं जो उस भीषण संघर्षमें, जिसमें आठ वर्षोंसे आपके

१. मूलमें “ राज्यगुरु शब्दका प्रयोग किया गया है।

२. देखिए खण्ड २, पृष्ठ १००-१३३ ।

३. बहुत अशक्त अवस्थामें जेलसे छूटनेपर ६-७-१९०९ को जिसकी मृत्यु हो गई थी । देखिए खण्ड ९, पृष्ठ २९८ और दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, खण्ड २, अध्याय ७ ।

४. सत्याग्रह संघर्ष में निर्वासनके कष्टोंसे अक्तूबर १६, १९१० को जिसका देहान्त हुआ । देखिए, खण्ड १०, पृष्ठ ३६३-६४, ४०१ और दक्षिण आफ्रिकाके सत्याग्रहका इतिहास, खण्ड २, अध्याय ७ ।

५, देखिए खण्ड १२, पृष्ठ ३५१-५२ ।