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मद्रासकी महाजन-सभा और कांग्रेसके मानपत्रका उत्तर

रियायतें माँगनी हो न पड़ेंगी और जो-कुछ दिया जायेगा वह रियायत नहीं होगी, क्योंकि वे स्वयं उनके योग्य बन चुके होंगे। मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि भीतरसे सुधार किये बिना राजनैतिक रियायतोंके लिए आन्दोलन करनेसे देशको कोई लाभ न होगा। साथ ही मैं यह चाहता हूँ कि लोग मेरी कही हुई बातोंकी अपेक्षा मेरे व्यवहारको देखकर मुझे तोलें। मेरी राय है कि किसी भेंटम कहे गये शब्द वह सब अभिव्यक्त नहीं कर सकते जो वह व्यक्ति, जिससे भेंट की जा रही हो, उस विषयपर कहना चाहेगा। क्योंकि आखिरकार भेंटकी अपनी मर्यादाएँ हैं।

[ अंग्रेजीसे ]

मद्रास मेल, २३-४-१९१५


५६. मद्रासकी महाजन-सभा और कांग्रेसके
मानपत्रका उत्तर

अप्रैल २३, १९१५

मद्रास महाजन-सभा और मद्रास प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीके सदस्योंने कल सायंकाल महाजन-सभाके अध्यक्ष माननीय नवाब सैयद मुहम्मदके निवास स्थान 'हुमायूं मंजिल 'में श्री गांधी और उनकी पत्नीको भोज दिया। उसमें बोलते हुए श्री गांधीने कहा:नवाब साहब और मित्रो,

में इस समारोहका आयोजन करने और ऐसी सुन्दर भाषामें मानपत्र' देनेके लिए दोनों सम्मान्य संस्थाओं को अपनी ओरसे और अपनी पत्नीकी ओरसे हार्दिक धन्य- वाद देता हूँ। मैं समझता हूँ, आप यह आशा नहीं करते कि में कोई भाषण दूंगा। मुझे लगता है कि हमारे न्धमें यह कहावत सत्य है 'दूरके ढोल सुहावने होते हैं'। हमें अब आप लोगोंके सामने काम करना है। मैं दक्षिण आफ्रिकासे जो कमाकर लाया हूँ वही मेरी पूंजी है। में इस समय उस पूँजीको खर्च कर रहा हूँ। हम जब आपके सामने काम करना आरम्भ करेंगे, तब आप हमें हमारे असली रूपमें देखेंगे और मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप तब उसी उदार भावनासे काम लें जिसके लिए हमारी महान् मातृभूमि प्रसिद्ध है। मैं आशा करता हूँ कि आप हमारे दोष क्षमा करेंगे और हम जो कुछ जिस सद्भावसे दे रहे हैं उसे उसी भावसे स्वीकार करेंगे । (तालियाँ)

[ अंग्रेजीसे ]

न्यू इंडिया, २४-४-१९१५


१. यह यहाँ नहीं दिया जा रहा है।