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५७. भेंट : असोसिएटेड प्रेस, मद्रासके प्रतिनिधिको

अप्रैल २३, १९१५

असोसिएटेड प्रेसके एक प्रतिनिधिने श्री गांधीसे भेंट की। भेंटमें उन्होंने दक्षिण आफ्रिकावासी भारतीयोंकी उत्कृष्ट राजभक्तिका उल्लेख किया और कहा कि उन्होंने महायुद्ध छिड़नेपर संघ-सरकारको साम्राज्य सरकारका प्रतिनिधि मानकर हो उसका साथ दिया। जनरल बोथाने अपने प्रशंसापूर्ण पत्रमें अवसर आनेपर उनकी सेवाओंका उपयोग करनेका वचन दिया था।

यह पूछनेपर कि क्या युद्धके बाद भारतीयोंके दर्जेमें और सुधार होनेकी सम्भा- वना है ? श्री गांधीने कहा कि यह बहुत कुछ साम्राज्य सरकारके रुख और अन्य कई बातोंपर निर्भर करता है।

दक्षिण आफ्रिकामें अपना कार्य जारी रखने के सम्बन्धमें उन्होंने कहा, कि जहाँ- तक कानूनी सहायताका सम्बन्ध है श्री पोलक स्वयं अटनकी हैसियतसे वकालत कर रहे हैं और बहुत अच्छी तरहसे सलाह दे सकते हैं। उन्होंने आगे कहा; बहुत-से योग्य भारतीय सत्याग्रही भी वहाँ हैं और वे स्थितिके प्रति सतर्क हैं। इस प्रकार वहाँ श्री पोलककी सहायतासे भारतीयोंके मित्र जो भी समस्याएँ खड़ी होंगी उनको भली-भाँति सँभाल लेंगे। 'इंडियन ओपिनियन' जो सत्याग्रहियोंके विचारोंको प्रकट करता है, श्री वेस्ट और श्री छगनलाल गांधीके प्रबन्ध और नियंत्रणमें चल रहा है।

भारतमें भविष्यका आपका कार्यक्रम क्या होगा, यह प्रश्न किये जानेपर उन्होंने कहा:

मैं श्री गोखलेकी सलाहसे अध्ययनकी दृष्टिसे देशका दौरा कर रहा हूँ। उसके बाद मैं देशकी सेवा करनेकी निश्चित योजना बनाऊँगा। इस बीचमें उस संस्थाको भी जारी रखूंगा जो दक्षिण आफ्रिकामें चलाई जा रही है और जिसका उद्देश्य आजीवन राष्ट्रीय सेवाके लिए युवकोंको शिक्षण देना है।

सभी जानते हैं कि मेरी देखरेखमें अब भी कई युवक और लड़के हैं। ये दक्षिण आफ्रिकासे मेरे साथ आये हैं। इनमें से कुछ सत्याग्रही हैं और कुछ सत्याग्रहियोंके बेटे हैं।

[ अंग्रेजीसे ]

बंगाली, २४-४-१९१५


१. ए० एच० वेस्ट; इन्टरनेशनल प्रिंटिंग प्रेसके मैनेजर । फोनिक्स-स्थित इसी प्रेसमें इंडियन ओपिनियन छपता था ।