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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

चाहिए। जबतक हममें ईश्वरीय अंश वर्तमान है तब तक हमें मनुष्यसे कभी भय नहीं खाना चाहिए।[१]

[गुजरातीसे]
महात्मा गांधीनी विचारसृष्टि

२३. भाषण : उमरेठमें[२]

[उमरेठ]
नवम्बर १२,१९१७

मित्रो,

आप लोगोंने मुझे श्री गोखलेके नामपर खोले जानेवाले पुस्तकालयका उद्घाटन और उनकी तसवीरका अनावरण करनेके लिए बुलाया है। यह काम बहुत पवित्र है और गम्भीर है। आजकल पश्चिमके लोगोंमें एक ऐसी गलतफहमी फैली हुई है कि पुस्तकालय खोल दिया तो समाजकी सेवा हो गई। अमेरिकाके एक शहरमें कार्नेगी नामके एक करोड़पति सज्जन रहते हैं। उनके पास इतना ज्यादा पैसा है कि वे लाखों रुपया बाँटें तो भी उनकी पूँजीमें कोई कमी नहीं होगी। वे अनेक जगहोंमें पुस्तकालय खोलनेके लिए पैसा देते हैं और ये सारे पुस्तकालय उन्हींके नामपर होते हैं। स्कॉटलैंडके कुछ नेताओंने उनसे विनती की है कि कृपया ऐसी प्रथा आप हमारे यहाँ हमारी मर्जीके बिना न फैलायें, क्योंकि हमारी समझमें इससे हितके बदले हानि होनेकी ही ज्यादा सम्भावना है। पेरिसमें पुस्तकालयोंका दुरुपयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। इससे आप यह न समझें कि मैं पुस्तकालयोंके खिलाफ हूँ। पुस्तकालय खोलते समय और उसके पहले यह विचार करना आवश्यक है कि वह किसके नामपर खोला जाये और स्थानीय हितकी दृष्टिसे वहाँ पुस्तकें कैसी चुनी जायें ताकि व्यक्तिका नाम और पुस्तकोंका वाचन सार्थक हो।

अब उनकी तसवीरके विषयमें। गोखले नामके भूखे नहीं थे; बल्कि वे अपना सार्वजनिक सम्मान पसन्द ही नहीं करते थे। अकसर ऐसे अवसरोंपर उनकी आँखें झुक जाया

 
  1. बिहार-उड़ीसा पुलिस एकस्ट्रैक्ट्समें बताया गया है कि अन्तमें गांधीजी 'होमरूल' आन्दोलनके सम्बन्धमें बोले और उन्होंने लोगोंसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीगकी सिफारिशोंका समर्थन करनेका अनुरोध किया। उन्होंने उपस्थित जन-समुदायके सम्मुख श्री मॉण्टेग्युको भेजे जानेवाले प्रार्थनापत्रका वर्णन किया और उसपर हस्ताक्षर करनेका अनुरोध किया। उसी शामको गांधीजीने हिन्दू-मुस्लिम नेताओंके एक सम्मेलनमें भाग लिया। मुजफ्फरपुरके पुलिस अधीक्षकसे प्राप्त हुई नवम्बर १२, १९१७ की गुप्त रिपोर्टके अनुसार श्री गांधीजीने शाहाबादके दंगोंकी भर्त्सना की और खेद प्रकट किया।....श्री गांधीने कहा कि वे यह नहीं चाहते कि हिन्दीको अपनाया जाये, उर्दूको नहीं। उन्होंने कहा विदेशी भाषा नहीं अपनाई जानी चाहिए और सिर्फ ऐसी भाषा अपनाई जानी चाहिए जिसे सब लोग समझ सकें। अधिकांशत: हिन्दी और उर्दू भाषाएँ बोली जाती है और ये आसानीसे समझ आ जाती है।
  2. गुजरातमें।