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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय


अभी मैं यहाँके मेघवाल[१] भाइयोंका बुनाईका काम देखने गया, तब साथमें आये हुए लड़कोंमें छुआछूतकी बात निकली। उसे सुनकर मुझे आश्चर्य हुआ। मैं यहाँ अभी जाति-पाँतिके विषयपर कुछ कहना नहीं चाहता, लेकिन इतना तो कहूँगा कि इस वर्गको अपने साथ मिलाये बिना हमारी, हमारे गाँवकी और हमारे देशकी उन्नति नहीं होगी। इसके बिना स्वराज्यकी आशा रखना भी व्यर्थ होगा। जबतक हमारे मनमें अन्धश्रद्धा बनी रहेगी, जबतक घरमें, कुटुम्बमें, गाँवमें और समाजमें लड़ाई-झगड़े होते रहेंगे, तबतक हम कितना ही स्वराज्य-स्वराज्य चिल्लाते रहें, उससे कुछ होगा नहीं। आपके उमरेठमें पहले पचास करघे चलते थें, लेकिन अब केवल दो रह गये हैं और उनपर भी सन्तोष देने योग्य ढंगसे काम नहीं हो पाता। इसका कारण आपकी संकुचित वृत्ति है। उमरेठके नेताओंका कर्त्तव्य है कि वे अपने देशी उद्योगोंके विकासमें मदद करें और उन्हें प्रोत्साहन दें। अगर उनमें ऐसी भावना न हो, तो उन्हें गोखले-जैसे परमार्थी सन्तकी तसवीरके उद्घाटनका कोई अधिकार नहीं। पर मुझे लगता है कि उमरेठ एकदम भावना और उत्साहशून्य नहीं है। महात्मा गोखलेके प्रति वह सद्भाव रखता है और अपने कर्त्तव्यको पहचान गया है। यह सन्तोषकी बात है।

[गुजरातीसे]
धर्मात्मा गोखले

२४. समाचारपत्र

[नवम्बर १४, १९१७ से पूर्व]

मैंने 'हिन्दुस्तान' के सम्पादकको दीवाली विशेषांकके लिए कुछ लिख भेजनेका वचन दिया है। वचनका पालन करनेके लिए मेरे पास समय नहीं है, फिर भी यह सोचकर कि किसी तरह थोड़ा-बहुत लिखकर भेजना चाहिए, पाठकोंके सम्मुख समाचारपत्रके सम्बन्धमें अपने विचार रख रहा हूँ। परिस्थितियोंके वशीभूत होकर दक्षिण आफ्रिकामें मुझे यह काम करना पड़ा, उससे मुझे इस विषयपर विचार करनेका अवसर मिला। जिन विचारोंको मैं यहाँ प्रकट करनेकी धृष्टता कर रहा हूँ उन सबको मैंने कार्यरूप दिया है।

मेरी विनम्र रायमें, समाचारपत्रके कार्यको आजीविका कमानेका साधन मानना अनुचित है। कुछ-एक कार्य [क्षेत्र] ऐसे खतरनाक और सार्वजनिक होते हैं कि उनके द्वारा आजीविका प्राप्त करनेसे मूल उद्देश्यको हानि पहुँचती है। जब समाचारपत्रको नफा कमानेका साधन बनाया जाता है तब तो बहुत अनर्थ होनेकी सम्भावना रहती है। ऐसा बहुत अधिक मात्रामें हो रहा है। यह बात मुझे उन लोगोंके सम्मुख, जिन्हें पत्रकारिताका पूरा अनुभव है, सिद्ध करनेकी कोई आवश्यकता नहीं है।

 
  1. निम्न वर्गकी एक जाति।