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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

करनेकी इच्छुक स्त्रियोंको पहले तो स्वयं उद्योगकी पाठशालामें पहला पाठ पढ़ना होगा, कातना होगा तथा खड्डियोंपर कपड़ा बुनना होगा।

मोहनदास करमचन्द गांधी

[गुजरातीसे]
गुजराती, २-१२-१९१७

२६. पत्र : जे॰ एल॰ मेरीमैनको

मोतीहारी
नवम्बर १४, १९१७

प्रिय श्री मेरीमैन,[१]

मैं सोचता हूँ कि मैं यहाँ जो-कुछ कर रहा हूँ मुझे उसकी सूचना आपके पास भेजते रहना चाहिए। स्कूलके लिए बनी-बनाई इमारत मिल जानेके तथा खाम गाँवमें स्कूल खोलनेका निमन्त्रण मिलनेके फलस्वरूप मैंने आज डाकाके समीप बरहरवा लखमसेन नामक गाँवमें एक स्कूल खोल दिया है। जिन लोगोंने मुझे मदद देनेकी इच्छा प्रकट की थी उनमें से अच्छेसे-अच्छे अवैतनिक अध्यापकोंको मैंने वहाँ लगा दिया है और वे हैं बम्बईके श्री और श्रीमती गोखले। उनकी जीविकाके अपने स्वतन्त्र साधन हैं। श्रीमती गोखले बम्बईमें शिक्षाका कार्य कर रही थीं। उन्हें जिस किस्मका कार्य यहाँ करना है, वह मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ। यदि बन सका तो उन कारखानोंके विभिन्न संचालकोंकी सहायतासे इसी प्रकारके अन्य स्कूल, एक स्कूल पीपरा देहातमें, दूसरा तुरकौलिया देहातमें और तीसरा बेलवा देहातमें खोलनेकी आशा करता हूँ। चूंकि यह प्रयास प्रयोगात्मक है; इसलिए इन स्कूलोंसे कुछ निश्चित सफलता न मिलने तक मैं चार या पाँचसे अधिक स्कूल नहीं खोलना चाहता। मुझे आशा है कि इस प्रयोगमें मुझे स्थानीय अधिकारियोंसे सहयोग प्राप्त होगा, यद्यपि मैं जानता हूँ इसमें अनेक कठिनाइयाँ हैं। लेकिन अगर इसमें सफलता मिलती है तो महत्त्वपूर्ण परिणाम निकलनेकी सम्भावना है।[२]

आपका सच्चा,
मो॰ क॰ गांधी

महादेव देसाईके अक्षरोंमें और गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडियासे); तथा सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज़ मूवमेंट इन चम्पारन, १९१७-१८ से भी।

 
  1. चम्पारनके जिला मजिस्ट्रेट।
  2. इसके उत्तरमें मैरीमैनने १८ नवम्बरको निम्नलिखित उत्तर दिया था: १४-११-१९१७ का आपका पत्र मुझे प्राप्त हुआ। मुझे आपके द्वारा स्कूलोंकी स्थापनाके प्रयोगमें दिलचस्पी है और उनके सम्बन्धमें मैं और भी जानना चाहता हूँ। आप किस प्रकारके स्कूल और उन्हें कहाँ खोलेंगे तथा उनमें किस प्रकारकी शिक्षा दी जायेगी यह सब जानकारी पाकर मुझे प्रसन्नता होगी। गांधीजीके उत्तरके लिए देखिए "पत्र: जे॰ एल॰ मेरीमैनको", १९-११-१९१७।