पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/११७

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२७. पत्र : मगनलाल गांधीको

बेतिया[१]
दीवाली [नवम्बर १४, १९१७]

चि॰ मगनलाल,

आज ही बेतिया वापस आनेपर तुम्हारी डाक पढ़ी। यह पत्र प्रतिपदाको भेजा जा सकेगा।

ठाकोरलालको जो जवाब[२] दिया है उसे पढ़कर उनके पतेपर भेज देना।

नानुभाई अगर सन्तुष्ट हो गये हों तो काफी है। गलतियाँ करते हुए भी हम प्रगति करेंगे। अगर फिर हम वही गलती करें तो काफी है। तुम जबतक बाहर रहना चाहो, रहना। यदि उमरेठ भी हो आओ तो अच्छा रहेगा। मैं समझता हूँ छगनलाल तो अहमदाबादमें ही होगा। शहर जानेका अवसर तो बहुत कम आता होगा। देवभाभी[३] और खुशालभाईको[४] मेरा प्रणाम कहना। तुम सबको नये सालके मेरे आशीर्वाद।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ५७०६) से।
सौजन्य : राधाबेन चौधरी

२८. पत्र : हरिलाल गांधीको

मोतीहारी
[नवम्बर १५, १९१७][५]

चि॰ हरिलाल,

आज दीवाली है, नया वर्ष तुम्हें फले, तुम्हारी शुभेच्छाएँ पूरी हों और तुम सबके चारित्र्यकी पूँजीमें वृद्धि हो, यही मैं चाहता हूँ। यही सच्ची लक्ष्मी है, उसीका पूजन करने में कल्याण है। मेरी भगवान् से प्रार्थना है कि यह सत्य तुम्हें अधिकाधिक स्फूर्ति दे।

बापूके आशीर्वाद

[गुजरातीसे]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ५
 
  1. गुजराती पंचांगके अनुसार दीवाली १४ नवम्बरको पड़ी थी।
  2. यह पत्र उपलब्ध नहीं है।
  3. और
  4. मगनलालके माता-पिता।
  5. महादेव देसाईकी डायरीके अनुसार यह पत्र १५ नवम्बरको लिखा गया था।