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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

उन्हें अक्सर ऐसे कागजातोंपर जिनको वे समझ भी नहीं सकते है[१] हस्ताक्षर देनेके लिए कहा या मजबूर किया जाता है।

आपका सच्चा,
मो॰ क॰ गांधी

महादेव देसाईके अक्षरोंमें और गांधीजीके हस्ताक्षरयुक्त मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से; तथा सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, १९१७-१८, पृष्ठ ४२५ से भी।

३१. पत्र : रणछोड़लाल पटवारीको

मोतीहारी
कार्त्तिक सुदी ४ [नवम्बर १८, १९१७]

आदरणीय भाईश्री,

आपका पत्र मिलनेपर चित्तको वैसी ही शान्ति प्राप्त हुई जैसी कालाभाईके[२] पत्रको पाकर हुई थी। पटवारी-परिवारपर मैं मुग्ध हूँ। आपने मुझे संकटके समय जो सहायता दी थी वह मैं कभी नहीं भूल सकता।[३] मैं आपको हमेशासे बड़े भाई जैसा मानता आया हूँ। अगर आपने मुझे बम्बईमें मदद न की होती, तो, कोई नहीं कह सकता, मेरी क्या दशा हुई होती।

इसका मैं एक ही प्रतिदान दे सकता हूँ : मैं इस प्रकारसे रहूँ, जिससे आपको लगे कि इस व्यक्तिको मदद देकर हमने ठीक किया। मुझे लगता है, आपको मेरे हरिजनसम्बन्धी कार्योसे दुःख हुआ है। अपने इस कामको मैं छोड़ नहीं सकता। लेकिन आपको दुःख हो यह मेरे लिए कष्टदायक है, इसलिए जब आपका पत्र मिला तब मैंने सोचा कि मेरा हरिजन-सम्बन्धी कार्य आपको नापसन्द है किन्तु कुल मिलाकर मैं जो-कुछ कर रहा हूँ उसे आप अनुचित नहीं मानते। यह मुझे आशीर्वाद-समान जान पड़ा।

लेकिन, अभी मैं इससे भी अधिक की आशा रखता हूँ। वैष्णव-धर्मके नामपर इस महापवित्र धर्मका लोप हो रहा है। गो-रक्षाके नामपर गायकी हत्या हो रही है। धर्मके नामपर पाखण्डका प्रसार हो रहा है। धार्मिक होनेका ढोंग करनेवाले अधार्मिक लोग धर्म-सम्बन्धी नियमोंका विधान करते हैं। मैं यह सब अनुभव करता हूँ तो फिर वैष्णव

 
  1. मेरीमैनने नवम्बर १८ के अपने जवाबमें लिखा था; अगर वे लोग सोचते हैं कि उन्हें सताया जा रहा है तो वे अदालतमें जानेके लिए स्वतंत्र हैं। मैं अदालतमें पेश किसी भी मुकदमेके सम्बन्धमें ऐसी कोई बात नहीं सुनना चाहता, जिससे अदालतके मनमें पक्षपातकी भावना आनेकी संभावना हो। इसलिए मुझे यह जानकर खुशी हुई कि आपका इरादा मुझे शिवरत्न नोनिया द्वारा पेश किये गये मामलेसे सम्बन्धित अपनी जानकारी बतानेका नहीं है।
  2. लक्ष्मीदास गांधी, गांधीजीके बड़े भाई।
  3. पटवारीजीके पिताने गांधीजीको वकालतकी शिक्षा प्राप्त करनेके उद्देश्यसे सन् १८८८ में इंग्लैंड जानेके लिए आर्थिक सहायता दी थी; देखिए खण्ड १, पृष्ठ ११।