पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/१२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

३३. पत्र : रामनवमी प्रसादको[१]

[मोतीहारी
नवम्बर २१, १९१७][२]

भाईश्री,

मैं २३ तारिखको[३] १० बजे यहांसे निकलुंगा. उस ट्रेनको मुजफ्फरपुर मीलीयेगा। उस बखत अरजी बारेमें सुनाउंगा. फीस दें तो लेने में कुछ हरज नहि देखता हुं. दूसरी मद्रसा कल खुली.

मोहनदास गांधीके वन्देमातरम्

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल पत्र (जी॰ एन॰ ७३५) की फोटो-नकलसे।

३४. पत्र : जे॰ एल॰ मेरीमैनको

मोतीहारी
नवम्बर २२,१९१७

प्रिय श्री मेरीमैन,

पिछले मंगलवारको मैं भीतिहरवा गया और वहाँ एक स्कूल खोल आया। बेलगाँवके एक सार्वजनिक कार्यकर्त्ता श्री सोमण, बी॰ ए॰, एलएल॰ बी॰ को इसकी व्यवस्था सौंपी है। गुजरातके एक नवयुवक बालकृष्ण उनकी सहायता करेंगे। श्रीमती गांधी परसों २४ तारीखको वहाँ पहुँच जायेंगी। उनका मुख्य काम स्त्रियोंसे मिलना-जुलना ही होगा।

कल मैं बधरवामें था। उसी समय श्रीमती गोखले और मेरा पुत्र एक मरणासन्न व्यक्तिसे भेंट करके लौट रहे थे। उन्होंने मुझे बताया कि जिलेके लोग मरीजोंकी ओरसे बहुत ही लापरवाह हैं। उनका विश्वास है कि उस जिले में बहुतेरी ऐसी मौतें होती रहती हैं जिनका होना रोका जा सकता है, क्योंकि ये मौतें स्वास्थ्य सम्बन्धी मामूली-मामूली नियमोंके पालनके अभावके कारण होती हैं। मैं जानता हूँ कि यह आपके लिए कोई नई बात नहीं है, क्योंकि यह, श्रीमती गोखले जिस जिलेमें काम कर रही

 
  1. (१८४१-१९६३); मुजफ्फरपुरके प्रसिद्ध वकील; गांधीजीके साथ चम्पारनके आन्दोलनमें भाग लिया। १९१९-२२ में मुजफ्फरपुरमें असहयोग आन्दोलनका संयोजन किया था।
  2. जिस दूसरे स्कूलका संदर्भ इस पत्रमें दिया गया है यह स्कूल २० नवम्बर, १९१७ को नेपालकी तराईके भीतिहरवा नामक गाँवमें खोला गया था।
  3. गांधीजीको मॉण्टेग्युसे भेंट करने दिल्ली जाना था।