पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/१२६

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३६. भाषण : अलीगढ़में[१]

नवम्बर २८,१९१७

...उन्होंने श्रोताओंको बताया कि जबतक हममें एकता नहीं हो जाती तबतक स्वराज्य प्राप्तिसे राष्ट्रका लाभ होगा, ऐसा कहना बेकार होगा। आजके दंगोंका उल्लेख करते हुए उन्होंने हिन्दुओं द्वारा प्रदर्शित घृणित और हेय बर्बरताके प्रति घृणा व्यक्त की और कहा कि हिन्दुओंको अपनी कमी पूरी करनी चाहिए। हिन्दुओं और मुसलमानोंके झगड़े पारिवारिक झगड़ोंकी तरह तय कर लिये जाने चाहिए। उन्होंने अली बन्धुओंका कई बार उल्लेख किया।...

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९१७

३७. भाषण : अलीगढ़ कॉलेजमें[२]

अलीगढ
नवम्बर २८,१९१७

...उन्होंने कहा मुझे उम्मीद है कि मैं यहाँ इस कॉलेजमें अली बन्धुओंके साथ आऊँगा। मैंने अलीगढ़को राष्ट्र और देशके लिए कार्य करते देखा है परन्तु मुसलमान अपने देशके उत्थानकी दिशामें उस लगनसे काम नहीं कर रहे हैं, जिससे उनके हिन्दू भाई कर रहे हैं। मुझे यह देखकर प्रसन्नता होगी कि अलीगढ़ कॉलेजके यदि सब नहीं तो कुछ विद्यार्थी, श्री गोखलेकी तरह राष्ट्रोन्नायक बनें। उन्होंने अपनी पोशाककी (सफेद कुर्ता, धोती और टोपी)का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीयोंके लिए यही उपयुक्त पोशाक है। दलित-वर्गके लोग आधुनिक वेशभूषावाले व्यक्तियोंकी अपेक्षा

 
  1. यहाँ पहुँचनेपर छात्रोंकी भारी भीड़ने गांधीजीका स्वागत किया और स्टेशनसे लायक पुस्तकालयके मैदान तक उनका जुलूस निकाला। मैदानमें गांधीजीने २,००० लोगोंकी सभामें हिन्दू-मुस्लिम ऐक्यपर भाषण दिया। एक छात्रने स्वराज्यकी कामना करते हुए गांधीजीको माला पहनाई। १-१२-१९१७ के लीडरमें प्रकाशित गांधीजीके भाषणको रिपोर्ट में कहा गया है कि गांधीजीने सर सैयद अहमदखाँकी इस उक्तिका उल्लेख किया कि "हिन्दू और मुसलमान भारतमाताकी दो आँखें है।"
  2. पुस्तकालयके मैदानमें भाषण देनेके बाद, (देखिए पिछला शीर्षक) गांधीजीने कॉलेजके कार्यकारी प्रिंसिपल श्री रेनलसे अनुमति लेकर विद्यार्थियोंके समक्ष "सत्य और मितव्ययिता" पर भाषण दिया। बादमें वे ख्वाजा अब्दुल मजीदके घर गये और वहाँसे कलकत्ता जानेके लिए, स्टेशन चले गये।