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प्लेगके सम्बन्धमें सामान्य सुझाव

भारतके प्राचीन ढंगके अनुसार वस्त्र पहननेवालोंकी बात अधिक तत्परतासे सुनेगे और उनसे सम्मति लेने भी अधिक प्रसन्नताके साथ उनके पास पहुँचेंगे।

[अंग्रेजीसे]
बॉम्बे सीक्रेट एब्स्ट्रैक्ट्स, १९१७

३८. मगनलाल गांधीके नाम लिखे पत्रका अंश[१]

[नवम्बर ३०, १९१७ के पूर्व]

...दोनोंके ऊपर अत्यधिक कार्यभार है। तुममें और मुझमें शायद एक अन्तर है। मुझे जो-कुछ खुशी मिलती है, संयमसे मिलती है। संयमके बिना में जी ही नहीं सकता। जब-जब मुझसे संयम नहीं निभता मुझे दुःख होता है। बा पर जब भी मुझे गुस्सा आता है उसका प्रायश्चित्त मैं अपनेको कष्ट देकर पूरा करता हूँ। गोधरामें मुझे एक प्रतिनिधिपर गुस्सा आ गया था, परन्तु जबतक मैंने सबके सामने उससे माफी नहीं माँगी मुझे सन्तोष नहीं हुआ।

३० नवम्बरको मुझे कलकत्ता रहना होगा; इसीलिए उम्मीद है कि जल्दी ही अहमदाबाद पहुँचूँगा।[२] लेकिन रहना दो ही दिन हो सकेगा। यह भी हो सकता है कि मैं अहमदाबाद आ ही न सकूँ। कोशिशमें अपनी हदतक कसर नहीं रखूँगा।

बापूके आशीर्वाद

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ५७०७) से।

सौजन्य : राधाबेन चौधरी

३९. प्लेगके सम्बन्धमें सामान्य सुझाव

नडियाद
दिसम्बर ६,१९१७

इसे कैसे रोका जाये


१. मनुष्यका रक्त यदि स्वच्छ हो तो उसमें प्रत्येक रोगके कीटाणुओंको नष्ट करनेकी शक्ति होती है।
२. इसलिए, यदि हम अपने शरीरको स्वस्थ रखें तो चाहे कितनी ही भयंकर महामारी क्यों न फैली हो, रक्तकी स्वच्छताके कारण, हम सुरक्षित रह सकते हैं।


३. रक्तको स्वच्छ बनाये रखनेके लिए मनुष्यको सादा, अल्प तथा नियमित भोजन करना चाहिए। अत्यधिक चर्बीयुक्त, मीठी अथवा चटपटी खुराक वर्जित है। सोनेसे

 
  1. इस पत्रके पहले तीन पृष्ठ उपलब्ध नहीं हैं।
  2. गांधीजी ४ और ५ दिसम्बरको अहमदाबादमें थे।‌