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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

किया जायेगा तो प्लेग नहीं फैलेगा। इस प्रकार प्लेगकी छूतसे पीड़ित परिवारकी मारफत प्लेगका उस अथवा किसी स्थानपर भी प्रवेश नहीं हो सकता। इस प्रकार ३१ दिन बाहर रहनेके बाद, शहरमें किसी अन्य स्थानपर प्लेगका प्रकोप न हुआ हो, और उक्त घरमें मरे हुए चूहे देखनेमें न आयें तो परिवार वापस अपने घरमें जाकर रह सकता है।


८. जिस गाँवमें प्लेग फैलने लगे उस गाँवके अन्य व्यक्तियोंको चाहिए कि वे अपने घरोंकी छानबीन कर लें। सारे सामानको बाहर निकालकर चूहोंकी खोजबीन करें। यदि मरा हुआ चूहा देखनेमें आये तो ऊपर दी गई सलाहके अनुसार बाहर जाकर रहें। मरे हुए चूहे दिखाई न पड़े तो भी घरको खूब साफ-सुथरा बनाये रखें। घरकी सफेदी करवाई जानी चाहिए। हवाके आने-जानेकी व्यवस्था न हो तो घरमें वैसा सुधार करें। और घरके आसपास भी पूरी सफाई रह सके, ऐसे उपाय किये जाने चाहिए। पड़ोसियोंके घर साफ न हों तो ऐसी तजवीज करनी चाहिए कि वे भी साफ कर दिये जायें।


९. रोगीको घबराने न दें। उसके पास [उसकी] सेवा-सुश्रूषा करनेवाले व्यक्तिके अलावा और किसीको भी मत जाने दीजिए। उसे ऐसे कमरेमें रखिए जहाँ उसे पुष्कल हवा और उजाला मिले। सार्वजनिक अस्पताल हो तो उसे वहाँ ले जाइए। भोजन एकदम बन्द कर दें। प्लेगके आसार नजर आते ही उसे खुराक न दी जाये और तीन घंटे बीत गये हों तो एनीमा दें। रोगीको ठंडे पानीके टबमें, दो मिनट अथवा उससे भी अधिक, पसन्द करे तो पाँच मिनट तक, इस प्रकार बैठाइये कि उसके पैर और छाती आदि पानीसे बाहर रहें तथा घुटनेसे जाँघ तकका भाग पानीमें रहे। रोगीको प्यास लगे तो उबला, छना हुआ और ठण्डा पानी, जितनी रोगीको जरूरत हो उतना दें। इसके अलावा अन्य कोई भी पेय पदार्थ न दें। माथा बहुत गरम हो तो उसपर मिट्टीकी पट्टी अथवा ठण्डे पानीकी पट्टी रखिए। इतने इलाजसे सम्भव है कि रोगी मौतके भयसे मुक्त हो जाये। यदि वह दूसरे दिन तक जीवित रहे और उसे भूख लगे तो नीबू अथवा नारंगीके रसमें गरम अथवा ठंडा पानी मिलाकर रोगीको पीनेके लिए दीजिए। बुखार उतरनेके तुरन्त बाद दूध शुरू कीजिए। शरीरमें गाँठ हो तो उसपर गरम पानीकी पट्टी रखें और उसे समय-समयपर बदलते रहें। डेढ़ फुट लम्बा और नौ इंच चौड़ा मोटा कपड़ा लेकर उसे गरम पानीमें अच्छी तरहसे भिगोइये; फिर उसे सूखे रूमालपर रखकर निचोड़ें तथा जितना रोगी सहन कर सके उतना गरम, चार तहें लगाकर गाँठपर रखकर पट्टी बाँध दें। इस पुल्टिसको हर तीस मिनटके बाद बदलिये। इस रोगमें रोगीका हृदय बहुत दुर्बल हो जाता है इसलिए उसे पूरा आराम दिया जाये।


१०. सार-सँभाल करनेवाला व्यक्ति अन्य लोगोंसे अलग रहे। और दूसरे कामोंको, जिनमें [अन्य] व्यक्तियोंके हाथ लगते हों, करना छोड़ दें। अपने शरीरकी रक्षाके लिए खुराकको मात्रा बहुत कम कर दे और शरीरका बराबर ध्यान रखे। चिन्ता बिलकुल न करे। यदि उसे पाखाना न आता हो तो वह एनीमा लेकर अंतड़ियोंको साफ करे और मात्र फलाहार करे।