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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

लिए आ सको तो तुमको भी। यहाँका वातावरण या जलवायु श्रीमती पायवेल[१] और शायद श्रीमती वेस्टको भी पसन्द नहीं आयेगा, सो मैं जानता हूँ।

अगर मणिलाल स्वयं अपने हाथसे छापकर देखना चाहता है तो उसे ऐसा करने दिया जाये।

यह मैं बखूबी जानता हूँ कि पत्रका शहरसे निकालनेका प्रयास बिलकुल व्यर्थ सिद्ध होगा। हमने इसको असाध्य पाकर ही छोड़ा था। बड़े गौरके साथ सोचने-समझनेके पश्चात्, जैसी-जैसी आवश्यकता पड़ती गई, हम अपनी विभिन्न मंजिलोंपर पहुँचे हैं। तुम्हारे तौर-तरीके साधारण व्यापारी जैसे नहीं हो सकते। तुम उनका सहारा लेनेसे जल्दी ही ऊब उठोगे। जिसका परिणाम निश्चित असफलता है, उसका प्रयोग ही क्यों किया जाये? अगर मणिलाल आजमाइश करना चाहे तो मैं उसे अवसर दिया जाना पसन्द करूँगा। मैं उसे भी पत्र[२] लिख रहा हूँ।

हृदयसे तुम्हारा,
मो॰ क॰ गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ४४२७) की फोटो-नकलसे।

सौजन्य : ए॰ एच॰ वेस्ट

४१. पत्र: जे॰ एल॰ मेरीमैनको

मोतीहारी
[दिसम्बर][३] १०, १९१७

प्रिय श्री मेरीमैन,

आज सुबह यात्रासे लौटनेपर मुझे मेरे नाम लिखा एक पत्र रखा मिला; उसकी नकल[४] मैं इसके साथ भेज रहा हूँ।

डॉ॰ देवने मुझे बताया है कि मितहरवा और उसके आसपासके गाँवोंकी आबादीका लगभग ५० प्रतिशत ऐसे ज्वरसे पीड़ित है जो प्राय: जान लेकर ही जाता है। हमारे कार्यकर्ता यथासंभव सहायता कर रहे हैं।

आपका सच्चा,
मो॰ क॰ गांधी

गांधीजीके स्वाक्षरोंमें मूल अंग्रेजी पत्र (नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया) से;

तथा सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज़ मूवमेंट इन चम्पारन, १९१७-१८, सं॰ २२६, पृष्ठ ४६३—४ से भी।

 
  1. ए॰ एच॰ वेस्टकी सास।
  2. उपलब्ध नहीं है।
  3. मूल पत्रमें गांधीजीने भूलसे नवम्बर लिख दिया है। वस्तुत: उन्होंने यह पत्र १० दिसम्बरको मोतीहारी वापस आनेपर लिखा था।
  4. बबन गोखलेका पत्र; देखिए परिशिष्ट ५।