४४. पत्र : ई॰ एल॰ एल॰ हैमंडको
मोतीहारी
दिसम्बर १५, १९१७
मुझे आपका इसी १३ तारीखका संक्षिप्त पत्र अभी मिला।[२] आपके साथ जो बातचीत हुई उससे मैंने यह निष्कर्ष निकाला था कि मेरी सेवाओंकी जरूरत न होगी, इसलिए मैंने आगामी मार्च मासके अन्ततक महत्त्वपूर्ण कार्य स्वीकार कर लिये है और अभी एक शिक्षा सम्बन्धी और स्वास्थ्य व सफाई-सम्बन्धी प्रयोग आरम्भ किया है। मैं इसे सबसे अधिक महत्त्व देता हूँ और उसपर मुझे लगातार ध्यान देनेकी आवश्यकता है। मैं इस कार्यको छोड़ना नहीं चाहता और फिर भी मैं वर्तमान युद्धमें जो थोड़ा-सा हिस्सा ले सकता हूँ, उसका अवसर भी नहीं खोना चाहता। मुझे ऐसी टुकड़ी बनाना, जिसमें मैं सेवा न करूँ, लगभग असम्भव लगता है। यदि मैं लोगोंको यह विश्वास न दिलाऊँ कि वे सब मिलकर, और मेरे साथ, काम करेंगे तो मुझे ऐसे लोगोंको प्राप्त करना भी मुश्किल होगा। क्या आप कृपया मुझे विस्तारसे बतायेंगे कि आपकी विभिन्न जरूरतें क्या है और आपको टुकड़ीकी जरूरत कब होगी; तब मैं देखूँगा कि मैं उसमें काम कर सकता हूँ या नहीं। आप कृपया मुझे यह बतायें कि प्रत्येक स्थितिमें कैसे कामकी जरूरत होगी और यदि बताना सम्भव हो तो यह भी लिखें कि प्रस्तावित टुकड़ी कहाँ भेजी जायेगी।
आपका सच्चा,
मो॰ क॰ गांधी
सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, १९१७-१८
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