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पत्र : जमनादास गांधीको

दरें शुरूसे आखीर तक एक ही रहती हैं। कुछ गोरे जमींदारोंने, जो समितिके पूछने पर अपने साटोंकी शर्तोको उचित सिद्ध नहीं कर सके थे, कहा था कि असलमें वे इन साटोंको लागू नहीं करते। मैं नम्रतापूर्वक कहना चाहता हूँ कि एक खण्ड ऐसा रखा जाना चाहिए जिसमें इन साटोंको अवैध घोषित किया गया हो। यदि आवश्यकता हो तो अल्प अवधिके नये साटे किये जा सकते हैं और उनकी दरें डिवीजनके कमिश्नरसे सलाह करके तय की जा सकती है। मैं कह सकता हूँ कि इस समय भी इन साटोंको तोड़नेपर किये गये हर्जानेके कुछ दावे विचाराधी नहै।

मैंने अखबारोंमें सर्वश्री इर्विन[१] और जेम्सनका[२] पत्र-व्यवहार पढ़ा है, एवं विधेयकपर सर्वश्री जेम्सन और केनेडी[३] द्वारा कौंसिलम दिये गये भाषण भी देखे हैं। इन दोनोंके सम्बन्धमें मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि इन लेखकों और वक्ताओंने जो भी बातें कही हैं उनमें से हरएक बातका पूरा उत्तर मौजूद है। मैंने सरकारपर अनावश्यक भार पड़नेके भयसे उनके बारेमें अपना मुँह बंद रखा है। किन्तु यदि इन तीनों सज्जनोंके उठाये हुए मुद्दोंके सम्बन्धमें मेरे स्पष्टीकरणकी आवश्यकता हो तो मैं आपका पत्र मिलनेपर ऐसे किसी भी मुद्दे के सम्बन्धमें अपने विचार प्रसन्नतापूर्वक प्रस्तुत करूँगा।

[अंग्रेजीसे]

सिलैक्ट डॉक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेंट इन चम्पारन, १९१७-१८


४९. पत्र : जमनादास गांधीको

मोतीहारी
माघ सुदी ८ [दिसम्बर २१, १९१७]

चि॰ जमनादास,

तुम्हें मैं अपनी इच्छाके अनुरूप पत्र नहीं लिख सका। मेवाको[४] पत्र लिखनेका मन करता है। मेरे साथ ऐसा होता है कि मैं अच्छा पत्र लिखनेके लोभमें नहीं लिखता और फिर साधारण पत्र लिखना भी रह जाता है। मेरी इच्छा है कि तुम पत्र-व्यवहारमें अनियमित न रहो। तुम्हारा अनुवाद मैंने नहीं पढ़ा। आज महादेवभाईको[५] सौंप रहा हूँ। वे तो [अवश्य ही] पढ़कर तुम्हें लिखेंगे। मैं भी पढ़ जाऊँगा।

 
  1. डब्ल्यू॰ एस॰ इर्विन; मोतीहारी इंडिगो कन्सर्न के प्रबन्धक।
  2. जे॰ वी॰ जेम्सन, जुल्का फैक्ट्रीके प्रबंधक।
  3. प्रिंगल केनेडी; विधान परिषदके सदस्य।
  4. जमनादास गांधोकी पत्नी।
  5. महादेव हरिभाई देसाई।