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सम्पूर्ण गांधी वाङ‍्मय

हम हवा, पानी और अनाजके सम्बन्धमें उचित सावधानी बरता करें तो हमारे पास प्लेग कभी फटक नहीं सकता। अहमदाबादके कुछ मुहल्लोंको तो गत आठ वर्षोंसे पानीकी तकलीफ उठानी पड़ रही है। तीन महीनेसे तो सारा शहर पानीकी तकलीफका अनुभव कर रहा है। और इसलिए हम लोग आज अहमदाबादके जिलाधीश, उत्तरीय विभागके कमिश्नर तथा नगर-निगमके आयुक्तके पास अपनी फरियाद पेश करने के लिए इकट्ठे हुए हैं। आजसे हम लोग अहमदाबादके लिए शुद्ध और पर्याप्त पानीकी प्राप्तिका प्रयत्न शुरू कर रहे हैं।

नगर-निगमके सदस्य जनताके नौकर हैं, हमें उनसे प्रश्न पूछनेका और यदि वे जिम्मेदारीके साथ अपना काम न करें तो उन्हें अलग कर देनेका अधिकार है। सरकार [नगर-निगम] अधिनियमके एक खण्डके अन्तर्गत आयुक्तकी नियुक्ति करती है। [किन्तु] हम लोग नगर-निगमके आयुक्त तथा इंजीनियरसे जवाब तलब करनेका हक भी रखते हैं। और यदि उससे भी आगे कदम उठानेकी जरूरत हुई तो हम वैसा भी करेंगे। जिस सभामें इस प्रकारके लोकोपयोगी विषयोंपर विचार किया जाता हो उस सभामें जितने अधिक लोग उपस्थित हों उतनी ही बुलन्द उसकी आवाज होगी। मेरा आप सब लोगोंसे निवेदन है कि इस मामलेमें जबतक सफलता प्राप्त न हो तबतक अपना प्रयत्न जारी रखें। यदि हम हरएक सवालको अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मानकर काम करें तो सफलता मिले बिना नहीं रह सकती। हमें अपना रुपया वापस मांगनेका पूरा हक है।[१]

हमें विरोध करना ही चाहिए; वरना, अधिकारियोंको कभी मालूम ही न हो पायेगा कि हमें क्या कष्ट है; इसके लिए हमें नये चुनावों तक प्रतीक्षा भी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि चुनाव तो एक वर्षके बिलम्बसे भी हो सकते हैं।

[गुजरातीसे]
प्रजाबन्धु, १३-१-१९१८
 
  1. इसके बादके वाक्य गांधीजीने मुख्य प्रस्तावके पास हो जानेपर सभाकी चर्चाका उपसंहार करते हुए कहे थे।