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१३३. अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी हड़ताल

फरवरी २७, १९१८

पत्रिका २

कलके अंकमें हम देख चुके हैं कि मजदूरोंकी प्रतिज्ञा क्या है। अब हमें यह देखना है कि उस प्रतिज्ञाका पालन कैसे किया जाये। हम जानते हैं कि मालिकोंके पास करोड़ों रुपये हैं, और मजदूरोंके पास कुछ भी नहीं। हालाँकि मजदूरोंके पास पैसा नहीं है, तो भी उनके पास काम कर सकने लायक हाथ-पैर हैं । और, दुनियाका कोई हिस्सा ऐसा नहीं, जहाँ मजदूरोंके बिना काम चल सकता हो। इसलिए अगर मजदूर समझ ले, तो उसे सहज ही पता चल जाये कि सच्ची सत्ता तो उसीकी है। मजदूरके बिना पैसा असहाय बन जाता है। अगर मजदूर इस बातको समझ जाये, तो उसे यह विश्वास भी हो जाये कि विजय उसीकी होगी । लेकिन इस तरहकी सत्ता धारण करनेवाले मजदूरमें कुछ गुण होने चाहिए । अगर उसके पास ये गुण नहीं हैं, तो वह कुछ कर नहीं सकता । अब हम देखें कि ये गुण क्या हो सकते हैं :

१. मजदूरको सत्यवादी होना चाहिए। उसके लिए झूठ बोलनेका कोई कारण ही नहीं रहता । लेकिन अगर वह झूठ बोलता है, तो उसे मुँहमाँगी मजदूरी नहीं मिल सकती। सच बोलनेवाला हमेशा अपनी बातपर कायम रहता है, और जो अपनी बात पर कायम रहता है, वह कभी हारता नहीं ।

२. हरएक में हिम्मत होनी चाहिए। 'मेरी नौकरी गई, अब मेरा क्या होगा ' इस तरहकी झूठी दहशतके कारण हममें से कइयोंको हमेशा गुलामी करनी पड़ती है ।

३. हममें न्यायबुद्धि होनी चाहिए। अगर हम अपनी योग्यतासे अधिक माँगेंगे, तो हमें बहुत थोड़े मालिक मिलेंगे, और शायद न भी मिलें । [ लेकिन ] हमने अपनी इस लड़ाईमें जिस इजाफेकी माँग की है, वह मुनासिब ही है । इसलिए हमें विश्वास रखना चाहिए कि देरमें या जल्दी ही हमें इन्साफ मिलेगा और जरूर मिलेगा ।

४. मालिकोंपर हमें किसी तरहकी नाराजी न रखनी चाहिए, और न उनके लिए दिलमें दुश्मनीके कोई खयाल आने देना चाहिए। आखिर हमें नौकरी तो उन्हीं के यहाँ करनी है। गलती हरएक आदमीसे होती है । हमारा अपना ख्याल है कि माँगा हुआ इजाफा न देकर मिल-मालिक गलती कर रहे हैं। अगर हम आखिरतक सीधे-सच्चे रहें, तो मालिक अपनी भूल जरूर सुधार लेंगे। इस समय तो वे गुस्सेमें हैं। उनके दिल में यह शक भी पैदा हो गया है कि अगर वे आज मजदूरोंकी माँग मंजूर कर लेंगे, तो फिर मजदूर उन्हें हमेशा परेशान किया करेंगे। इस शकको मिटानेके लिए हमें अपने बरतावसे मालिकोंको अधिकसे-अधिक विश्वास दिलाना चाहिए। इस सम्बन्ध में हमारा पहला काम तो यह होना चाहिए कि हम उनके प्रति वैर भाव न रखें।

५. हरएक मजदूरको यह अच्छी तरह याद रखना चाहिए कि इस जंगी लड़ाईमें मुसीबतों का सामना तो करना ही पड़ेगा। लेकिन जो मुसीबतें जानबूझ कर उठाई जाती