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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पड़े तो भी आप साफ कह दीजिए कि परमेश्वरको साक्षी रखकर जो प्रतिज्ञा आपने की है, उससे आपको कोई डिगा नहीं सकता । आपकी वह टेक गांधीकी खातिर नहीं; खुदाकी खातिर है । आप इसपर यकीन रखिए, कायम रहिए, और लड़ लीजिये । हिन्दुस्तान देखेगा कि मजदूर मर-मिटनेको तैयार थे, कसम छोड़नेको नहीं । आप इन पत्रिकाओंको बरजबान कर लीजिये, और ली हुई अपनी प्रतिज्ञापर सोच-समझकर डटे रहिए । मगर इन्हें खाली रट लेनेसे भी कोई फायदा नहीं। यों तो तोता रटनके ढँगपर कइयोंको 'कुरान शरीफ' और 'गीता' जबानी याद होती है; तुलसीदासकी 'रामायण' भी कइयोंको कण्ठाग्र रहती है। लेकिन इतना ही काफी नहीं। इन्हें याद करके अगर आप इनपर अमल भी करेंगे, तो यकीन रखिये कि पैंतीसके पौने पैंतीस कोई आपको न दे सकेगा।[१]

[ गुजरातीसे ]
एक धर्मयुद्ध


१३७. पत्र : रावजीभाई पटेलको

[ फरवरी २७, १९१८ के बाद ]

भाईश्री रावजीभाई,

भाई अम्बालालकी[२] मृत्यु हमें सिखाती है कि सेवाधर्मके पालनमें हम एक क्षणकी भी ढिलाई नहीं कर सकते । यमराज हमें चाहे जब बुला सकते हैं । और यदि हमें देश सेवाके केवल हवाई किले ही बाँधना हो, उसके लिए सक्रिय प्रयत्न न करना हो तो बहुत सम्भव है कि हमें खाली हाथ ही चले जाना पड़े और हमारे सारे मनोरथ मिथ्या सिद्ध हों । भाई अम्बालाल अपने पीछे जिन लोगोंको छोड़ गये हैं उन्हें मेरी ओरसे आश्वासन देना और कहना कि भाई अम्बालालका सच्चा स्मरण तो इसीमें है कि हम उनके चारित्र्यका अनुकरण करें।

बापूके आशीर्वाद

[ गुजरातीसे ]
जीवननां झरणा
 
  1. इस भाषणका बाकी हिस्सा उपलब्ध नहीं है ।
  2. चरोतर शिक्षा समितिके सदस्य तथा उसके प्रथम मंत्री ।