पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/२४१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१३८. अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी हड़ताल

फरवरी २८, १९१८

पत्रिका - ३

मजदूरोंकी प्रतिज्ञाके बारेमें हम लिख चुके हैं और इस बातका विचार भी कर चुके हैं कि उस प्रतिज्ञाका किस प्रकार पालन किया जाये । अब आज हम यह देखें कि मजदूर तालाबन्दीके दिनोंमें अपना समय किस प्रकार बितायें। कहावत है कि बेकार के सिरपर शैतान सवार रहता है । इसलिए अहमदाबादमें दस हजार आदमियोंका बेकार रहना कभी अच्छा हो ही नहीं सकता। जो आदमी हमेशा दिनभर काममें जुटा रहता हो वह अचानक बेकार हो जाये तो उसे बहुत अटपटा मालूम होता है। हम जो कुछ चाहते हैं, उसे पानेके लिए आजकी चर्चाका विषय बहुत ही महत्त्वका है । समयके सदुपयोगकी चर्चा करनेसे पहले यह बता देना जरूरी है कि बेकारीके इन दिनोंमें मजदूरोंको क्या- क्या नहीं करना चाहिए :

१. जुआ खेलनेमें समय न गँवाना चाहिए ।
२. दिनमें सोकर समय न खोना चाहिए।
३. मिल-मालिककी और तालाबन्दीकी ही बातें करनेमें दिन नहीं काटने चाहिए ।
४. कइयोंको चायकी दूकानोंमें जाकर बैठने, वहाँ फजुलकी गपशप लड़ाने और गैरजरूरी चीजें खाने-पीनेकी आदत पड़ जाती है। मजदूरोंको ऐसे स्थानोंपर बिलकुल नहीं जाना चाहिए ।
५. जबतक तालाबन्दी जारी है, मजदूरोंको मिलोंमें न जाना चाहिए ।

अब हम देखें कि हमें क्या करना चाहिए :

१. बहुतेरे मजदूरोंके घर और उनके आसपासकी जगह गन्दी पाई जाती है। कामके दिनोंमें आदमी इन बातोंकी ओर ध्यान नहीं दे सकता । अब चूंकि लाजिमी तौर- पर छुट्टी मनानेका मौका मिला है, मजदूर अपना कुछ समय अपने घर और आँगनकी सफाई करने तथा घरोंकी मरम्मत करनेमें बिता सकते हैं ।

२. जो पढ़े-लिखे हैं, उन्हें पुस्तकें पढ़ने और अपना ज्ञान बढ़ानेमें समय बिताना चाहिए। वे अनपढ़ोंको पढ़ा भी सकते हैं । इस तरह मजदूर एक-दूसरेकी मदद करना सीख सकेंगे। जिन्हें पढ़नेका शौक है, उनको चाहिए कि वे दादाभाई पुस्तकालय और वाचनालयमें, अथवा ऐसी दूसरी संस्थाओंमें जहाँ मुफ्तमें पढ़नेको मिलता है, जायें और वहाँ अपना समय बितायें।

३. जिन्हें कौशल - साध्य दस्तकारियोंका ज्ञान है, यानी जो दर्जीका, बढ़ईका या नक्काशी वगैराका नफीस काम जानते हैं, वे खुद अपने लिए काम तलाश कर सकते हैं, और न मिलनेपर हमसे भी इसमें मदद ले सकते हैं ।