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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसीलिए उत्तर देने में विलम्ब हुआ । सर फैंक स्लाईका कहना बिल्कुल ठीक है, कानूनकी शक्ल में विधेयकके आते ही में मुकदमे वापस करवानेकी कोशिश करूँगा । हमने जब इस मामलेपर चर्चा की थी, तब हमने समझौतेको वैध बनानेकी बात नहीं सोची थी । अब चूँकि सन् १३२५[१]के बाद कटौतीकी गुंजाइश रखते हुए बढ़ी हुई दरोंको वैध बनाया जा रहा है, इसलिए बागान मालिकोंकी रक्षा पूरी तौरपर इसपर निर्भर नहीं करेगी कि रैयतपर मेरा कितना प्रभाव है। फिर भी में अदालत में पहुँचनेसे पहले ही मुकदमे वापस करवानेके लिए हर तरहसे कोशिश करूँगा । पर हो सकता है कि रैयतके कुछ लोग अपनी बातपर अड़ जायें ।

[ अंग्रेजीसे ]

सिलेक्ट डाक्यूमेंट्स ऑन महात्मा गांधीज मुवमेंट इन चम्पारन, १९१७-१८


१४३. पत्र : अम्बालाल साराभाईको

साबरमती
मार्च १, १९१८

भाईश्री,

आज सबेरे उठते ही में विचारमें पड़ गया कि हम कर क्या रहे हैं। मेरी प्रवृत्तिका परिणाम क्या होगा ? आपकी प्रवृत्तिका परिणाम क्या होगा ? मेरे खयालसे मेरी प्रवृत्ति सफल हो, तो आप मजदूरोंकी माँग स्वीकार कर लेंगे या अगर अन्त तक खींचेंगे तो मजदूर दूसरे धन्धों में लग जायेंगे। अगर मजदूर अपना निश्चय छोड़ देंगे और आपका निश्चित किया वेतन मंजूर कर लेंगे तो माना जायेगा कि मेरी प्रवृत्ति निष्फल हो गई । किन्तु उपर्युक्त परिणामोंसे जनताको आघात नहीं पहुँचेगा ।

लेकिन आपकी प्रवृत्तिका परिणाम क्या होगा ? आप सफल हो जायेंगे तो दबे हुए गरीब और भी अधिक दब जायेंगे, उनकी नामर्दी बढ़ जायेगी और यह भ्रम दृढ़ हो जायेगा कि रुपया सबको वशमें कर सकता है। अगर आपकी प्रवृत्तिके बावजूद मजदूरोंको वृद्धि मिल जायेगी तो आप इसे अपनी असफलता मानेंगे और दूसरे लोग भी और तब आप रैवतकी शर्तोंके अनुसार किया दर्ज किया हुआ पूरा

और वागान मालिकों के प्रतिनिधियोंने विचाराधीन मुकदमों के बारेमें चर्चा की थी ओरसे इस बात पर सहमत हो गये थे कि ऐसे मुकदमोंका निबटारा समझौते की जाना चाहिए अर्थात रैयतको शरहबेशीके वैध या अवैध होनेका प्रश्न उठाये बिना लगान फसली १३२५ तक अदा करना चाहिए । श्री स्लाईका कहना है कि इस बात में उनको आपका समर्थन मिलने का पूरा भरोसा है और यदि यह ठीक है तो मेरा अनुरोध है कि आप कृपया समझौता पूरा करनेके लिए रैयतसे कहे । आपने ही उनकी ओरसे समझौता किया था ।" (सिलेक्ट डॉक्यू मेन्ट्स ऑन महात्मा गांधीज मूवमेन्ट इन चम्पारन,पृष्ठ ४९१ )

  1. सम्राट अकबर द्वारा चलाया हुआ फसली सम्वत्, ईसवी सन् १९१८ के बराबर ।