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भाषण : अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी सभा में

आपको असफल समझेंगे। क्या आपकी पहली सफलता वांछनीय हो सकती है ? क्या आप चाहेंगे कि धनका मद बढ़े ? क्या आपकी यह इच्छा होगी कि मजदूर बिलकुल निःसत्व हो जायें ? क्या आप मजदूरोंसे इतना द्वेष करेंगे कि उन्हें उनके हक मिलें या उसकी भी अपेक्षा उन्हें दो पैसे अधिक मिलें, तो उस स्थितिको आप सफलता न समझेंगे ? क्या आप नहीं देखते कि आपकी असफलतामें ही आपकी सफलता है और आपकी सफलता आपके लिए भयंकर है ? रावण सफल हुआ होता तो ? क्या आप नहीं देखते कि आपकी सफलतासे सारे संसारको आघात पहुँचेगा ? इस प्रवृत्ति में दुराग्रह[१] है । मेरी प्रवृत्ति में सफलता मिले तो उसे सभी सफलता मानेंगे; किन्तु मेरी निष्फलतासे भी किसीको आघात नहीं पहुँचेगा। इतना ही सिद्ध होगा कि मजदूर आगे बढ़नेके लिए तैयार नहीं थे। ऐसी प्रवृत्ति में सत्याग्रह है । आप गहरा सोचिए । अपने अन्तरात्माकी सूक्ष्म वाणीको सुनिए और उसके अनुसार चलिए, यह मेरी माँग है । क्या आप यहीं भोजन करेंगे ?

हृदयसे आपका
मो० क० गांधी

[ गुजरातीसे ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४


१४४. भाषण : अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी सभा में

मार्च १, १९१८[२]

अबतक हमने मजदूरोंकी प्रतिज्ञा और मजदूरोंके कर्त्तव्योंकी चर्चा की है । अब हमें आपको यह लिखकर देना है कि हमारी प्रतिज्ञा क्या है और हम क्या-क्या करनेवाले हैं। आज हम आपको यह बतायेंगे कि आप हमसे क्या-क्या आशाएं रखते हैं और परमात्माको साक्षी रखकर हम आपके लिए क्या-क्या करते हैं। इस प्रतिज्ञाके आधारपर आपका काम होगा कि जब-जब आपको हम गलती करते हुए, अथवा प्रतिज्ञाके पालनमें कमजोरी दिखाते हुए दिखें, तब-तब आप हमें इन वचनोंकी याद दिलायें और उलाहना दें।[३]

[ गुजरातीसे ]
एक धर्मयुद्ध
 
  1. मिल मालिकोंने इस अवसरपर दुराग्रह किया था। महादेव देसाईने तत्कालीन स्थितिका विश्लेषण इस प्रकार किया है : “... ऐसा लगता था कि मिल मालिकोंने मजदूरोंको माँग मंजूर नहीं की, इसका कारण यह नहीं था कि वे वेतनमें ३५ प्रतिशत वृद्धि नहीं दे सकते थे; बल्कि यह उनका दुराग्रह था । उन्होंने पह अयुक्त रुख इस मयसे इख्तियार किया था कि यदि मजदूर एक बार सफल हो जायेंगे तो वे सदा तंग करते रहेंगे और मजदूरोंके सलाहकार स्थायी रूपसे जम जायेंगे ।
  2. यह भाषण पत्रिका – ४ के सिलसिले में दिया गया था ।
  3. पूरा भाषण उपलब्ध नहीं है