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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

पहले इस दुनियासे विदा नहीं हुए। तुम अम्बालालभाईको पत्र लिखती हो ? हड़तालके सबसे जबरदस्त विरोधी वे ही हैं ।

[ अंग्रेजीसे ]
महादेव देसाईको हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई


१५६. पत्र : जी० के० देवधरको[१]

[ अहमदाबाद ]
बुधवार, मार्च ६, १९१८

[ प्रियश्री देवधर, ]

आप जरूर यहाँ आयें। हम अच्छी तरह चर्चा करेंगे और फिर जरूरी हुआ तो यह मान लेंगे कि हमारे बीच मतभेद है । में प्रँट और घोषाल दोनोंके निकट सम्पर्क में आया हूँ और मेरा खयाल है कि में दोनोंको समझता हूँ। मेरा खयाल है कि आप हमें आधा सहयोग ही देंगे तो भी हमें उतनेसे सन्तोष करना पड़ेगा। जो आदमी अपने जीवनमें आधे समय बीमार रहे, वह आधा ही उपयोगी होता है। ठीक है या नहीं ? तन्दुरुस्ती अच्छी बना लेनेके लिए एक चीज जरूरी है । किन्तु आप वह करते कहाँ हैं ।

अत्यन्त हार्दिकतासे,
मो० क० गांधी

[ अग्रेजीसे ]
महादेव देसाईकी हस्तलिखित डायरीसे ।
सौजन्य : नारायण देसाई
 
  1. देवधरने गांधीजीके २६ फरवरी, १९१८ के पत्रके उत्तर में अपने बारेमें गांधीजी द्वारा कही गई बातोंको स्वीकार नहीं किया था और अपने स्वास्थ्यके बारेमें शिकायत की थी। गांधीजीने पर उसीके उत्तर में लिखा था ।