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१६३. अहमदाबाद के मिल मजदूरोंकी हड़ताल

माघ ११, १९१८

पत्रिका—११

ज्यों-ज्यों दिन बीतते जाते हैं, मजदूरोंको गुमराह करनेवाली पत्रिकाएँ भी निकलती जाती हैं। यह भी सुना गया है कि मंगलवारको तालाबन्दी खत्म होगी, और जो मजदूर कामपर जायेंगे, उन्हें ले लिया जायेगा । इसके साथ यह भी सुननेमें आया है कि पाँच या पाँचसे अधिक मजदूरोंको अपने साथ लानेवाले मजदूरोंको कुछ इनाम भी दिया जायेगा। इन दोनों हलचलोंके खिलाफ हमें कुछ करना नहीं है। दूसरे आदमियोंको काम देकर मजदूरोंको फिरसे मिलमें बुलानेका अधिकार मालिकोंको है । लेकिन मजदूरोंका फर्ज क्या है ? मजदूरोंने कहा है कि २० प्रतिशत इजाफा उनके लिए काफी नहीं है। उन्होंने मालिकोंको इसकी सूचना भी दी है । ३५ प्रतिशतसे कम इजाफा न लेनेकी प्रतिज्ञा भी वे कर चुके हैं। ऐसी हालत में कोई मजदूर अपनी टेक, अपना नाम और अपनी मर्दानगीको छोड़े बिना तबतक वापस कामपर नहीं जा सकता, जबतक उसे ३५ प्रतिशत इजाफा न मिले। लेकिन मुमकिन है कि हरएक मजदूरकी यह टेक न हो । प्रत्येक मजदूरने ऐसी प्रतिज्ञा न भी की हो। कुछ मजदूर गुजरातके बाहरके भी हैं । मुमकिन है कि वे हमारी शामकी सभा में न आते हों। अगर वे भी २० प्रतिशत इजाफा लेकर कामपर जाते हैं, तो हम इसे बुरा मानेंगे। किन्तु हमारा फर्ज सिर्फ इतना ही है कि हम ऐसे अज्ञानी मजदूरोंका पता लगाकर उन्हें सच्ची हालत समझा दें । हममें से हरएकको याद रखना चाहिए कि हमारी ओरसे इन लोगोंपर भी किसी प्रकारका दबाव नहीं पड़ना चाहिए ।

मंगलवारको यानी कल[१] सुबह ७॥ बजे हम अपने रोजके मुकामपर मिलेंगे । मालिकोंकी ओरसे मिलें चलानेकी जो लालच दी जा रही है, उसमें फँसनेसे बचनेका अच्छेसे अच्छा रास्ता यही है कि हरएक मजदूर रोज सुबह ७।। बजे सभाके मुकामपर खुद हाजिर रहे, और जो लोग अबतक सभामें नहीं आये हैं, ऐसे अज्ञात और परदेशी मजदूरोंका पता लगाकर उन्हें सभामें आनेको कहे और सभामें लाये । लालचके इन दिनों में सबके दिल में तरह-तरह के विचार उठेंगे। कामकाजी आदमीके लिए बेकार रहना बहुत दुःखदायक होता है। ऐसे सब लोगोंको सभामें आनेसे कुछ धैर्य मिलेगा। जिन्हें अपनी शक्तिका ज्ञान है, उनके लिए बेकारीका कोई सवाल नहीं रहता। दरअसल मजदूर इतना अधिक स्वतन्त्र है कि अगर उसे अपनी दशाका ठीक-ठीक भान हो जाये, तो नौकरीके जानेसे वह जरा भी न घबराये । धनवानके धनका अन्त हो सकता है, वह चुराया जा सकता है, बुरे कामोंमें खर्च होनेपर देखते-देखते नष्ट हो सकता है, और कभी अन्दाजकी भूलके कारण धनवानको अपना दिवाला भी निकालना पड़ता है। लेकिन

 
  1. अर्थात् १२ मार्चको ।