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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

मरनेको तैयार हों । मजदूर कहने लगे कि वे मजदूरी नहीं करेंगे, फिर भी उन्हें पैसेकी मददकी जरूरत तो है। गांधीजीको यह चीज बहुत भयावनी मालूम हुई। मजदूरोंके ऐसे व्यवहारसे देशमें जो अव्यवस्था उत्पन्न होगी, उसका कोई पार ही न रहेगा। मजदूरी करने में जो कष्ट है, उसे सह लेनेकी बात लोगोंको पुरअसर ढंगसे समझानेका गांधीजीके पास एक ही तरीका था । वह यह कि वे खुद कष्ट उठायें। वे खुद मजदूरी तो करते थे, लेकिन उतना काफी न था । उपवासको उन्होंने कई दृष्टियोंसे अर्थ-साधक समझा और शुरू किया। अब यह उपवास तभी छूट सकता है, जब या तो मजदूरोंको ३५ प्रतिशत इजाफा मिल जाये, या वे अपनी प्रतिज्ञासे टल जायें । नतीजा वही हुआ, जो सोचा था। जो लोग प्रतिज्ञा लेनेके वक्त हाजिर थे, उन्होंने वह देखा भी। मजदूर जागे, उन्होंने मजदूरी करना शुरू किया, उनका धर्म और उनका ईमान बचा।

मजदूर अब यह समझ चुके हैं कि अगर वे अपनी प्रतिज्ञापर कायम रहेंगे, तो उन्हें इन्साफ मिलेगा। गांधीजीकी प्रतिज्ञासे उनका बल बढ़ा है, लेकिन जूझना तो उन्हें अपनी ही ताकतपर है। मजदूरोंका उद्धार मजदूरोंके हाथमें है।

[ गुजरातीसे ]
एक धर्मयुद्ध


१७६. पत्र : बम्बईके गवर्नरको

[ मार्च १७, १९१८ से पूर्व ]

[ महानुभाव, ]

आशा है, मैंने और मेरे मित्रोंने जाँच-पड़ताल करके जो तथ्य प्राप्त किये हैं, उनके आधारपर तथा महामारी, प्लेग और निर्वाह-व्ययकी वृद्धिसे उत्पन्न कष्टोंको ध्यानमें रखते हुए या तो लगानकी वसूली मुलतवी कर दी जायेगी, या मेरे मूल सुझावके अनुसार किसी स्वतन्त्र निकाय द्वारा सारे मामलेकी जाँच करवाई जायेगी। लेकिन, यदि मेरे इस अन्तिम निवेदनकी उपेक्षा कर दी जाती है और जायदादें छीनी, बेची अथवा जब्त की जाती हैं तो मुझे काश्तकारोंको खुलेआम लगान न अदा करनेकी सलाह देनेको विवश हो जाना पड़ेगा।[१]

खेड़ा जिले में सर्वप्रथम प्रवेश करते समय मैंने आपको आश्वासन दिया था कि कोई भी उम्र मार्ग अपनाने से पूर्व में आपको सूचना दे दूँगा। मुझे आशा है कि इस पत्रमें

 
  1. अफसरोंने जोर-जबरदस्ती करके किसानोंसे यह कहलवा लिया था कि लगान चुकानेकी दृष्टिसे फसल काफी हुई है। गांधीजीने इस जोर-जबरदस्तीका विरोध किया। कमिश्नर प्रैटने गांधीजी तथा उनके सहयोगियोंकी बातसे असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि किसानोंके लिए सही रास्ता यही है कि वे बकाया रकम चुका दें। इन सब बातोंको ध्यान में रखते हुए गांधीजीने गवर्नरको पत्र लिखा था ।