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प्रवचन : आश्रममें प्रार्थनाके बाद

निवेदित विभिन्न तथ्योंपर आप ध्यान देंगे। यदि आप मुझसे मिलना चाहें तो मैं तुरन्त आ जाऊँगा ।[१]

[ आपका,
मो० क० गांधी ]

[ अंग्रेजीसे ]
सरदार वल्लभभाई पटेल, खण्ड १


१७७. प्रवचन : आश्रममें प्रार्थनाके बाद

मार्च १७, १९१८

मैंने अभी जो कदम[२]उठाया है, वह बहुत भयंकर है। किन्तु उसके पीछे एक बड़ा विचार है। यह भयंकर इसलिए है कि इसे सुनकर भारतमें जितने लोग मुझे जानते हैं, उन सभीको बहुत दुःख होगा, वे अत्यन्त शोक प्रकट करेंगे। लेकिन इसके साथ ही मुझे अब उन लोगोंको एक सुन्दर तत्त्व समझानेका अवसर भी मिला है। उस अवसरको मुझे न चूकना चाहिए। इस विचारसे मैंने यह कदम उठाया है। आप सबको उसका उद्देश्य समझाने के लिए मैं दो दिनसे बहुत अधीर रहा हूँ, किन्तु ऐसा शान्तिका समय मिल ही नहीं रहा था । यदि में प्रातःकाल और संध्याकालकी प्रार्थनाके समय आश्रममें न रह सकूँ तो यह मुझे बहुत खलता है। और इसके अतिरिक्त कल तो संगीतशास्त्री आये थे; इसलिए उनका मधुर स्वर सुननेका सुख तो मैं हरगिज नहीं छोड़ सकता था। मैंने बहुत से मोह छोड़ दिये हैं, किन्तु अभी कई मोह मुझमें बचे हुए हैं। आजकल तो, संगीतके बारेमें जितना मोह था, उतना संगीत मुझे आश्रममें उपलब्ध है। इसलिए कल अनसूयाबहनका वहाँ रहनेका बहुत आग्रह होनेपर भी मैं यहाँ आ ही गया । ऐसे मौकेपर यहाँके संगीतसे मुझे बड़ी शान्ति मिलती है। आप लोगोंके सामने अपनी आत्मा उँडेलनेके लिए ठीक अवसर है। किसी अन्य समयमें जब आप अपने कर्तव्य-कर्ममें लगे हुए हों, तब उसे छुड़वाकर आपको यहाँ इकट्ठा करना भी ठीक नहीं।

मुझे अपने देश भारतकी प्राचीन संस्कृतिमें से एक ऐसा तत्त्व मिला है, जिसे यदि यहाँ बैठे हुए हम थोड़ेसे लोग ही जान लें, तो भी समस्त जगत्के साम्राज्यका उपभोग कर सकते हैं। किन्तु उस तत्त्वको बतानेसे पहले मुझे एक बात कहनी है। इस समय भारतमें एक ही ऐसे व्यक्ति हैं, जिनके पीछे लाखों लोग पागल हैं, जिनके लिए देशके लाखों लोग अपने प्राण देनेको तैयार हो जायेंगे। वे व्यक्ति हैं तिलक महाराज । मुझे कई बार ऐसा

 
  1. उत्तरमें १७ मार्चको गवर्नरने इस प्रकार लिखा: “खेड़ा जिलेमें जो-कुछ हो रहा है, उससे सरकारने अपने-आपको पूरी तरह अवगत रखा है, और उसे पूरा सन्तोष है कि कलक्टर तथा राजस्व विभाग के अधिकारियोंने नियम-कानूनकी सख्त पाबन्दी रखते हुए जो-कुछ किया है, उसमें किसानोंके हितोंका बरावर ध्यान रखा है।"
  2. अभिप्राय मिल-मजदूरोंकी हड़तालके सम्बन्धमें अपने उपवासके निर्णयसे है ।