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भाषण : अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी सभा में

प्राप्त करते हैं । कुछ वहाँसे वापस भी आ जाते हैं; किन्तु इतने शुद्ध होकर कि बादमें दुनियाके दम्भमें रहकर भी वे अपने निश्चित विचारोंपर चल सकते हैं। ऐसे ज्ञानियोंके साथ जब मैं अपनी इस स्थितिकी तुलना करता हूँ, तब मैं अपने-आपको इतना पामर अनुभव करता हूँ कि कुछ न पूछो। फिर भी मुझे अपनी शक्तिका अन्दाज न हो, ऐसी बात नहीं है । लेकिन बाहर उसका अन्दाज जितना लगाया जाना चाहिए, उससे बहुत अधिक लगाया जाता है । मुझे दिन-प्रतिदिन दुनियामें इतना अधिक दम्भ दिखाई दे रहा है कि कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि में यहाँ जी ही नहीं सकता। मैंने फीनिक्समें कई बार कहा है कि किसी दिन में तुम सबके बीच न दिखाई दूँ, तो कोई आश्चर्य न करना । मुझे किसी दिन ऐसी तीव्र अनुभूति हो गई तो मैं ऐसी जगह चला जाऊँगा, जहाँ मुझे कोई न पा सकेगा । उस समय तुम घबराना मत, बल्कि मैं तुम्हारे पास ही हूँ, यह समझकर अपने हाथमें लिये कामको करते चले जाना ।

[ गुजराती से ]
महादेवभाईनी डायरी, खण्ड ४


१८२. भाषण : अहमदाबाद के मिल मजदूरोंकी सभा में

[ मार्च १८, १९१८][१]

जो समझौता में आपके सामने पेश करनेवाला हूँ, उसमें सिवा इसके कि मजदूरोंकी टेक रह-भर जाती है, और कोई बात नहीं है। मैंने मालिकोंको अपनी शक्ति भर समझाया; हमेशा के लिए ३५ प्रतिशत देने को कहा । परन्तु यह बात उन्हें बहुत भारी मालूम हुई । अब मैं आपसे एक बात कह दूँ । वह यह कि हमारी माँग एकतरफा थी । लड़ाईसे पहले हमने मालिकोंका पक्ष जाननेकी माँग पेश की थी, परन्तु तब उन्होंने उसे माना नहीं था । अब वे इस प्रस्ताव को मंजूर करते हैं कि मामला पंचको सौंप दिया जाये । मैं भी कहता हूँ कि यह झगड़ा पंचके सामने जरूर जाये। पंचसे[२] में ३५ प्रतिशत ले सकूँगा। अगर पंच कुछ कम देनेका निर्णय देंगे, तो मैं मान लूँगा कि हमने माँगनेमें ही भूल की थी। मालिकोंने मुझसे कहा कि जैसी हमारी प्रतिज्ञा है, वैसी उनकी भी प्रतिज्ञा है । मैंने उन्हें कहा कि ऐसी प्रतिज्ञा करनेका उन्हें अधिकार नहीं । लेकिन उनका आग्रह रहा कि उनकी प्रतिज्ञा भी सच है । मैंने दोनोंकी प्रतिज्ञापर विचार किया। मेरे उपवास मार्ग में बाधक बने । मैं उनसे यह तो नहीं कह सकता था कि मुँहमाँगा दोगे, तभी मैं उपवास तोडूँगा; यह तो वीरताकी बात न होती। इसलिए मैंने मान लिया कि फिलहाल तो दोनों पक्षोंकी प्रतिज्ञाएँ रहें, और बादमें पंच जो फैसला दे दें, सो सही ।

 
  1. समझौता १८ तारीखको सवेरे हुआ । उसी दिन ११ बजेके करीब गांधीजीने मजदूरोंको उसकी सूचना दी। इस सभा में कमिश्नर और अहमदाबादके प्रमुख नागरिकोंने भाग लिया था ।
  2. दोनों पक्षोंने प्रो० आनन्दशंकर ध्रुवको पंच बनाना स्वीकार किया ।