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अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी हड़ताल

मैं आपकी [ मजदूरोंकी ] ओरसे मालिकोंसे क्षमा माँगता हूँ। मैंने उन्हें बहुत दुःख दिया है । मेरी प्रतिज्ञा तो आपके लिए थी; लेकिन दुनियामें हमेशा हर चीजके दो पहलू रहते आये हैं; इसी कारण मेरी प्रतिज्ञाका प्रभाव मालिकोंपर भी पड़ा है। मैं नम्रतासे उनसे क्षमा चाहता हूँ। मैं जितना मजदूरोंका सेवक हूँ, उतना ही आपका [ मालिकोंका ] सेवक भी हूँ। मेरी प्रार्थना केवल यही है कि आप मेरी सेवाओंका ठीक- ठीक उपयोग कीजिएगा ।

[ गुजरातीसे ]
एक धर्मयुद्ध


१८४. तार : एनी बेसेंटको

[ मार्च १८, १९१८]

ईश्वरको धन्यवाद । सब निबट गया । सम्मानप्रद समझौता हो गया । निर्माणका आरम्भ । हम सभी आपके कृपा-भावके कृतज्ञ ।[१] कठिन कार्य अब

गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
न्यू इंडिया, १९-३-१९१८

१८५. अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी हड़ताल

मार्च १९, १९१८

पत्रिका—१७

दोनोंकी जीत

पिछली पत्रिकाओं में हम देख चुके हैं कि सत्याग्रहमें हमेशा दोनों पक्षोंकी जीत होती है । जो सत्यके लिए लड़ा और जिसने सत्यको प्राप्त किया, वह तो जीता ही लेकिन जिसने सत्यका विरोध किया और अन्तमें सत्यको पहचाना और उसे स्वीकार किया वह भी जीता ही माना जाता है । इस विचारके अनुसार चूँकि मजदूरोंकी प्रतिज्ञा रही है, इसलिए विजय दोनों पक्षोंकी हुई है । मालिकोंने भी प्रतिज्ञा की थी कि वे २० प्रतिशतसे ज्यादा नहीं देंगे; हमने उनकी इस प्रतिज्ञाका भी मान रखा है। मतलब यह कि दोनोंकी लाज रही है । अब यह देखें कि समझौता क्या हुआ है:

१. मजदूर कल, यानी तारीख २० को कामपर जायें । ता० २० के दिन उन्हें ३५ प्रतिशत इजाफा मिले, और ता० २१ को २० प्रतिशत ।

 
  1. आशय 'धर्मयुद्ध' में जीतसे है । इस तारको एनी बेसेंटने इस टिप्पणीके साथ प्रकाशित किया : "बतलाना मुश्किल है कि इस समाचारसे कितनी राहत मिली । हम उनके ही शब्दोंमें केवल इतना कह सकते हैं : 'ईश्वरको धन्यवाद' ।”