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अहमदाबादके मिल मजदूरोंकी हड़ताल

हो सका उतना उनके पक्षका विचार करके ३५ प्रतिशतकी सलाह दी । लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि हमारे द्वारा निश्चित ३५ प्रतिशत इजाफेकी माँग सही ही है । हमने ऐसा कभी कहा भी नहीं । अगर मालिक हमें हमारी भूल बतायें, तो जरूर ही हम कम इजाफा लेनेकी सलाह दें । यानी अगर पंचको कम इजाफा देना ठीक मालूम पड़े और उतना हम मंजूर कर लें, तो उससे हमारी टेकको जरा भी आँच नहीं आती। हमने पंचके उसूलको हमेशासे माना है । हमें आशा है कि ३५ प्रतिशत ठहराने में हमने कोई भूल नहीं की है। इसलिए हमारा खयाल है कि उतना मिलेगा। लेकिन अगर हमें अपनी भूल मालूम हो जाये, तो हम खुशीसे कम ले लेंगे ।

तीन महीने की मुद्दत खास तौरपर हमारी ओरसे ही मांगी गई है । मालिक तो पन्द्रह दिनकी मुद्दत मंजूर करने को तैयार थे। लेकिन हमें अपनी माँगको सही साबित करने के लिए बम्बई में थोड़ी जाँच-पड़ताल करनेकी जरूरत है। पंच महोदयको यहाँकी स्थिति समझाने और मजदूरोंके रहन-सहन की जानकारी करानेकी भी जरूरत है । जबतक वे इन सब बातोंको न समझ लें, उन्हें परिस्थितिका पूरा ख्याल नहीं आ सकता । इस तरहका सच्चा और पक्का काम कुछ ही दिनोंमें पूरा नहीं हो सकता । फिर भी जहाँ- तक हो सकेगा काम जल्दी ही पूरा किया जायेगा ।

कुछ भाइयोंने तालाबन्दीके दिनोंकी तनख्वाह लेनेकी इच्छा जाहिर की है। हमें कहना चाहिए कि हम यह तनख्वाह नहीं मांग सकते । हमने २० प्रतिशत लेनेसे इनकार किया इसीलिए तो तालाबन्दी या हड़तालमें से किसी एककी जरूरत खड़ी हुई । हमने २५ दिन तक जो तकलीफ उठाई, वह हमारे लिए कर्त्तव्य-रूप थी और उसमें हमारा स्वार्थ था । इस दुःखकी कीमत हमने प्राप्त कर ली है । यह समझौता ही वह कीमत है । अब हम तालाबन्दीके दिनोंकी तनख्वाह कैसे माँग सकते हैं ? उन दिनोंकी तनख्वाह माँगनेका मतलब यह होगा कि हम मालिकोंके पैसेसे लड़ाई लड़ें। मजदूरोंके लिए यह एक शरमानेवाला विचार है। लड़वैये अपनी ताकतपर ही लड़ सकते हैं । दूसरे, मालिकोंने मजदूरोंको तनख्वाह चुका दी थी। अब तो यह भी कहा जा सकता है कि मजदूर नये सिरेसे नौकरी शुरू करते हैं । इन सब बातोंका विचार करते हुए मजदूरोंको तालाबन्दीके समयकी तनख्वाह लेनेका ख्याल छोड़ देना चाहिए ।

मजदूरोंको तनख्वाह २० दिन बाद मिलेगी। इस बीच मजदूर क्या करें ? बहुतों की जेबें बिलकुल खाली होंगी। जिन्हें तनख्वाह मिलनेके दिनसे पहले मददकी जरूरत हो, उन्हें चाहिए कि वे मालिकोंसे नम्रतासे विनती करें; हमें विश्वास है कि मालिक उनकी इस प्रार्थनापर कुछ सहूलियत कर देंगे ।

मजदूरोंको याद रहे कि अबसे आगेकी उनकी हालतका आधार उनके कामपर रहेगा । यदि वे सच्ची नीयत के साथ, नम्रता और उत्साहसे नौकरी करेंगे, तो मालिकोंकी मेहरबानी पा सकेंगे और उनसे बहुत कुछ मदद ले सकेंगे । यह सोचना कि सब-कुछ हमारे मारफत ही मिल सकेगा, गलत होगा । संकटके अवसरपर मजदूरोंकी सेवा करनेके लिए हम तैयार हैं। लेकिन जहाँतक हो सके, मालिकोंको माँ-बाप समझकर उन्हीं से सब-कुछ लेने में मजदूरोंका हित है।

अब शान्तिकी आवश्यकता है। छोटी-मोटी तकलीफें सहन कर लेनी हैं।

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