पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/२८९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

 

१८७. भाषण : अहमदाबादको सभामें[१]

मार्च २१, १९१८

श्री सी० एफ० एन्ड्रयूजका परिचय में इससे पहले आपको दे चुका हूँ। उन्हें हम निःसन्देह ऋषि कह सकते हैं, क्योंकि उनमें एक पवित्र ऋषिके सब गुण मौजूद हैं। वे अभी हाल में फीजीसे लौटे हैं। वहाँ वे हमारे ही कामके सिलसिलेमें गये हुए थे । वे वहाँके होटलमें नहीं ठहरे और न वे किसी धनाढ्य व्यक्तिके यहाँ ही रहे। वे मजदूरोंके घरोंमें उन्हींके बीच रहे और मजदूरोंके रहन-सहनका अध्ययन किया। इस वक्त खेड़ा जिलेके किसानोंका आन्दोलन चल रहा है । अब में अपने व्यक्तिगत विश्वासके बलपर कह सकता हूँ कि इस जिलेके कितने ही तालुकोंमें चार आनेसे कम फसल हुई है। दूसरी ओर मैं बड़ी जल्दी दिल्ली जाना चाहता हूँ और वहाँ जाना आवश्यक भी है। मैं यह भी नहीं चाहता कि खेड़ा जिलेके काम में ढील पड़े। आप लोगोंको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि फिलहाल वहाँका काम श्री एन्ड्रयूजने अपने जिम्मे ले लिया है । वे आज माननीय गवर्नर महोदयसे मिलनेके लिए बम्बई जा रहे हैं । वे मेरी ओर से उनके समक्ष खेड़ा जिलेके सम्बन्धमें कुछ तथ्य प्रस्तुत करेंगे और मेरा निवेदन भी कह सुनायेंगे। यदि इसका कुछ [ अच्छा ] परिणाम निकला, तो ठीक; अन्यथा वे उसी रविवारको नडियाद लौट जायेंगे । आप देखेंगे कि इस प्रकार उन्होंने हमारे कार्यमें भी अपना सहयोग देना शुरू कर दिया है ।[२]

मुझे यह देखकर खुशी हुई कि श्री एन्ड्रयूजने अपना भाषण हिन्दीमें दिया । परन्तु उनके हिन्दीमें बोलनेका कारण में नहीं था । वे अंग्रेजीमें भी बहुत अच्छा बोलते हैं । कैम्ब्रिजके 'डोन' की अंग्रेजीके सम्बन्धमें तो कहा ही क्या जा सकता है ? यदि उन्हें विद्याथियोंकी सभा में मिल्टन या शेक्सपीयरपर व्याख्यान देना होता तो उनका अंग्रेजीमें बोलना ठीक होता । श्री एन्ड्रयूज जब पहले-पहल फीजी[३]गये थे तब उनके साथ श्री पियर्सन भी थे, परन्तु दूसरी मर्तबा वे वहाँ अकेले ही गये । इस बातका ध्यान रखनेके लिए कि फीजी में गिरमिट प्रथाके स्थानपर कहीं और कोई हानिकर प्रथा दाखिल न हो जाये, मैंने ही उन्हें वहाँ जानेकी सलाह दी थी। श्री एन्ड्रयूजने जिन अस्पतालोंका उल्लेख किया है उन्हें वास्तवमें अस्पताल नहीं अत्याचारके केन्द्र कहा जाना चाहिए । क्योंकि उनमें भारतीय स्त्रियोंकी दशा बहुत ही शोचनीय है । उस स्थानपर श्री एन्ड्रयूजने जब सरकारसे जनाने अस्पताल खोले जानेके लिए कहा तब उसने उत्तरमें यह सूचित किया कि यह काम बागान मालिकोंका है और बागान मालिकोंने यह कहा कि

 
  1. गांधीजीने सभा अध्यक्षकी हैसियतसे श्री एन्ड्यूजका परिचय देते हुए ये शब्द कहे थे । श्री एन्ड्यूजने फीजीके गिरमिटिया भारतीयोंके विषय में भाषण दिया था ।
  2. एन्ड्रयूजके भाषणके पश्चात् गांधीजीने निम्नलिखित विचार व्यक्त किये थे।
  3. यह बात सन् १९१५ की है ।