पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 14.pdf/२९०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२६०
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

गिरमिट-प्रथाके समाप्त हो जानेपर [ वहाँकी ] सरकार सब काम संभाल लेगी। स्कूलों में बालकोंको शुरू से ही ईसाई धर्मकी शिक्षा दी जाती है। यह बात हिन्दू और मुसलमान दोनों जातियोंके बच्चोंके हित में नहीं है । इसके अतिरिक्त यह तालीम अंग्रेजीके माध्यमसे दी जाती है; उससे हमारे देशके लोगोंको कोई फायदा नहीं होता । नेटालमें भी ऐसी ही स्थिति है। नेटालमें भारतीय शिक्षक नहीं मिलते और फीजीमें भी वैसा ही है । हम उसमें इस तरह सहायता कर सकते हैं; यदि कुछ शिक्षक जो थोड़ी आमदनीसे ही सन्तुष्ट हो सकें, वहाँ जायें तो वे मदद कर सकते हैं। अन्य लोग एक पैसेसे लेकर दो लाख रुपये तक देकर इस उद्देश्य में सहायक हो सकते हैं। आस्ट्रेलियाकी जिस महिलाने अपने फीजी जानेकी स्वीकृति दी है उसका खर्चा फिलहाल श्री एन्ड्रयूज देंगे। श्री एन्ड्रयूजको इम्पीरियल सिटीजनशिप संघसे कुछ सहायता मिलेगी परन्तु सहायताकी और भी जरूरत है। इस प्रकार श्री एन्ड्रयूजने जो कार्य किये हैं उनका में मूल्यांकन नहीं कर सकता । वे एकान्तप्रेमी हैं और दूसरोंकी सेवा करना ही उनका महामन्त्र है । मैंने उन्हें जानबूझकर ऋषि कहा है। उनके जैसे परोपकारी व्यक्तिका हम जितना उपकार मानें उतना ही कम है ।

[ गुजरातीसे ]
प्रजाबन्धु, २४-३-१९१८

१८८. पत्र : उत्तरी क्षेत्रके कमिश्नरको

[ मार्च २२, १९१८ से पूर्व ]

[ महोदय, ]

सत्याग्रह के प्रतिज्ञापत्र प्रकाशित करने और सार्वजनिक सभाएँ करनेसे पहले मैं आपसे एक अन्तिम प्रार्थना करना चाहता हूँ। वह यह कि कृपया इस आशय की घोषणा कर दीजिये कि दूसरी किस्तकी वसूली सारे जिलेमें मुलतवी रखी जायेगी; साथ ही उसमें इस बातपर भी आग्रह रखिए कि जिनके पास जमीन खास पट्टेपर है, वे पूरा बकाया लगान चुका दें। इसका लोगोंपर अच्छा असर होगा, और मेरा खयाल है कि वर्तमान परिस्थितियोंमें इसे मेहरबानीसे दी गई एक राहत माना जायेगा।[१]

[ अंग्रेजीसे ]
सरदार वल्लभभाई पटेल, खण्ड १
 
  1. गांधीजीके पत्रके उत्तर में बम्बईके गवर्नरने १७ मार्चको रूखा पत्र भेजा था । उसके बाद गांधीजीने यह पत्र भेजा । आपसकी बातचीत या लिखापढ़ी द्वारा समझौता करानेका यह गांधीजीका अंतिम प्रयास था किन्तु कमिश्नरने गांधीजीकी प्रार्थना नामंजूर कर दो, और उन्हें लिखा कि जितनी राहत ठीक समझी गई, दी जा चुकी है, अब में कलक्टरको आदेश भेज रहा हूँ कि वह लगानकी बकाया रकम वसूल करे ।