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१८९. भाषण : नडियादमें[१]

मार्च २२, १९१८

जिस अवसरपर हम आज यहाँ इकट्ठे हुए हैं वह इतना महत्त्वपूर्ण है कि उसकी याद हमारी स्मृतिमें सदा बनी रहेगी। कुछ महीनेसे इस जिलेमें सरकारसे लगान मुलतवी करवानेका आन्दोलन किया जा रहा है। इस साल फसल रुपये में चार आनेसे भी कम हुई है, इसलिए कानूनके मुताबिक लगान मुलतवी किया जाना चाहिए।

गुजरात-सभाके प्रस्तावके अनुसार मैंने जिलेके कई गाँवोंमें घूमकर जाँच की । मेरे साथियोंने भी जाँच की। जो गवाहियाँ दी गई हैं उनसे सिद्ध होता है कि तमाम जिलेमें फसल रुपये में चार आनेसे ज्यादा नहीं हुई है। सरकार कहती है कि उसने भी जाँच की है; किन्तु वह किसानोंको जरूरी राहत देनेके लिए तैयार नहीं है। उसने लगान वसूल करनेका निश्चय किया है। वह कहती है कि लोग लगान न देंगे तो वह सख्त कार्रवाई करके वसूल करेगी । लगानकी वसूलीके और वसूली न होनेपर जमीनें जब्त करनेके नोटिस निकाल दिये गये हैं। तलाटियोंके जुल्मकी शिकायतें भी आ रही हैं । जो तलाटी और मुखिया इस सभामें आये हों उनसे मुझे इतना ही कहना है कि वे सरकारके प्रति वफादार रहें; किन्तु वफादारी जुल्म करनेमें नहीं है। उन्हें सरकारी आज्ञाके अनुसार लगान वसूल करना चाहिए; किन्तु सरकार ऐसा तो नहीं कह सकती कि वे लोगोंको मारें पीटें। ऐसा जुल्म करनेका हुक्म कानूनके मुताबिक हरगिज नहीं दिया जा सकता। यदि ऐसा कोई हुक्म दिया भी गया हो तो तलाटी उसे माननेके लिए बँधे नहीं हैं। जो ऐसा कृत्य करता है वह देशद्रोही, राजद्रोही और ईश्वरद्रोही है। वे निष्ठापूर्वक अपने ऊपरी अधिकारियोंका हुक्म अवश्य बजायें; किन्तु उन्हें लोगोंको हैरान करनेका कोई अधिकार नहीं है ।

यदि उन्हें यह विश्वास हो जाये कि फसल रुपये में चार आनेसे कम हुई है तो वे हिम्मत के साथ अपने ऊँचे अफसरोंसे यह बात कह दें। मैं उन्हें यह सलाह दो कारणोंसे दे रहा हूँ । सरकारका तरीका यह रहा है कि वह अपनी बातको ही सच बताती है । लॉर्ड विलिंग्डनसे मेरी बातचीत हुई थी। इसमें उन्होंने मेरे सम्मुख अपनी यह राय प्रकट की कि भारतके लोग अपने सच्चे विचार प्रकट नहीं करते। उनमें अपने मनकी बात कहने की हिम्मत नहीं होती। वे अपने विरोधीको प्रसन्न करनेके लिए कुछ भी कह देते हैं; उनमें नैतिक साहस नहीं होता ।[२]

 
  1. गांधीजीने लगभग ५,००० लोगोंकी समामें खेड़ाको स्थितिके सम्बन्धमें भाषण दिया था। खेड़ा सत्याग्रहका आरम्भ इसी सभासे किया गया था और उसका संचालन गांधीजीने अनाथाश्रम, नडियाद में रहकर किया था । गांधीजीके भाषणका यह विवरण बम्बई सरकारकी १९१८ की गुप्त रिपोर्टों [ बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रेक्टस, १९१८ ] में प्राप्त विवरणसे मिला लिया गया है ।
  2. यह अतिरिक्त अनुच्छेद 'बॉम्बे सोक्रेट एक्स्ट्रेक्टस' से अनूदित है ।