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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इच्छा इस प्रतिज्ञाको लेनेकी हो वे आश्रम में आकर उसपर हस्ताक्षर करें। मेरी एक ही प्रार्थना है कि आप कष्ट सहें और अपनी प्रतिज्ञाका पालन करें किन्तु लगान अदा न करें। और इस प्रकार सरकारके सम्मुख यह सिद्ध कर दें कि आप कष्ट सहनेके लिए तैयार हैं। सरकार सब लोगोंके ऊपर तो जोर-जुल्म नहीं कर सकेगी ।[१]

जिन लोगोंके पास इनामी जमीनें हैं उन्हें मेरी सलाह है कि वे लगान दे दें। श्री एन्ड्रयूजने, जो गवर्नरसे भेंट करने गये हैं, तार दिया है कि मैं दिल्ली जाऊँ और उनसे मिलूँ। श्री एन्ड्रयूज और वल्लभभाई पटेल यहाँ काम करते रहेंगे। मैं श्री मुहम्मद अली और शौकत अली के कार्यके सम्बन्ध में दिल्ली जा रहा हूँ ।

[ गुजराती से ]
खेड़ा सत्याग्रह

१९०. प्रतिज्ञा[२]

[ नडियाद
मार्च २२, १९१८]

हमारे गाँव में फसल चार आनेसे भी कम हुई है इसलिए हमने सरकारसे आगामी वर्ष तक के लिए लगान वसूली स्थगित करनेका अनुरोध किया था । लेकिन सरकारने हमारी प्रार्थना स्वीकार नहीं की। इसलिए हम —हस्ताक्षरकर्ता—संकल्पपूर्वक घोषित करते हैं कि हम इस सालका लगान—पूरा या अधूरा, कुछ भी अदा नहीं करेंगे; हम उसकी वसूली के लिए सरकारको, वह जो भी ठीक समझे, कानूनी कार्रवाई करने देंगे और हम लगानकी गैर—अदायगी के सभी परिणाम खुशीसे भोगेंगे। अगर वे हमारी जमीनें जब्त करें तो हम अपनी जमीन जब्त हो जाने देंगे, परन्तु हम अपनी ओरसे अदायगी करके और इस तरह झूठे होकर अपना आत्मसम्मान नहीं खोयेंगे । यदि सरकार उदारतापूर्वक बाकी सारे गाँवोंमें बकाया लगानकी वसूली स्थगित करनेका निर्णय करेगी तो हम लोगोंमें से जो लोग अदा करनेकी स्थितिमें होंगे पूरा या बकाया लगान अदा कर देंगे। हममें से जिन लोगोंके पास पैसा है और जो अदा कर सकते हैं, वे भी इसलिए अदायगी नहीं कर रहे हैं कि यदि हम अदा कर देंगे तो गरीब किसान डरकर लगानकी अदायगी के लिए या तो अपनी जमीन-जायदाद बेचेंगे या कहींसे उधार लेंगे और इस तरह कष्टमें पड़ जायेंगे ।

हमारा विश्वास है कि इस कष्टकी परिस्थितिसे गरीबोंका बचाव करना पैसे- वालोंका कर्त्तव्य है ।

[ अंग्रेजीसे ]
यंग इंडिया, १२-६-१९१८
  1. इसके बादका अनुच्छेद 'बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रक्टस' से अनूदित है ।
  2. नडियाद की सभा में गांधीजीका भाषण समाप्त होनेपर लगभग २०० व्यक्तियोंने इस प्रतिज्ञापर हस्ताक्षर किये थे; देखिए पिछला शीर्षक। बादके कुछ दिनोंमें और लोगोंने भी यही प्रतिज्ञा की थी ।