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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

एक महान् सरकारको तो यही शोभा देगा कि उनकी रिहाईके लिए चीख-पुकार और आन्दोलन फिर शुरू हो, इससे पहले ही उनको रिहा कर दिया जाये ।

यदि मेरी उपस्थिति आवश्यक समझी जाये, तो मैं महामहिमसे कभी भी मिलनेके लिए तैयार रहूँगा ।

कृपया इस पत्रका उत्तर दीजिए । में २९ से ३१ तारीख तक हिन्दी साहित्य सम्मेलनको अध्यक्षता के सिलसिले में इन्दौरमें रहूँगा, उसके बाद अहमदाबादमें ।

[ आपका,
मो० क० गांधी ]

[ अंग्रेजीसे ]

नेशनल आर्काइव्ज़ ऑफ इंडिया : होम, पॉलिटिकल ( क ): जून १९१८, सं० ३५९-६०


१९२. खेड़ाकी परिस्थितिके बारेमें परिपत्र[१]

हिन्दू अनाथ आश्रम
नडियाद
फाल्गुन सुदी १५, मार्च २७, १९१८

खेड़ा जिलेकी रैयतका कर्त्तव्य

चूँकि खेड़ा जिलेमें फसल बहुत कम हुई है, अर्थात् अधिकांश गाँवोंमें चौथाईसे भी कम रह गई है, इसलिए सरकारी नियमके अनुसार इस वर्ष लगान वसूली मुलतवी कर देनी चाहिए। इसके लिए रैयतकी ओरसे सरकारके पास बार-बार प्रार्थनाएँ भेजी गई हैं। जनताकी ओरसे 'गुजरात-सभा,' माननीय सर्वश्री जी० के० पारेख और भारत सेवक समाज [ सवेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी ] के वी० जे० पटेल और सर्वश्री देवधर, अमृतलाल ठक्कर और जोशीने फसलोंके बारेमें जांच-पड़ताल की है और सभी इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि खरीफकी फसल तो लगभग सारी खराब हो चुकी है । मैंने भी कई जिम्मेदार और सम्माननीय सहायकोंकी मददसे लगभग ४०० गाँवोंकी फसलोंके बारेमें काफी ब्यौरेवार पड़ताल करके देखा है कि लगभग उन सभी गाँवोंमें फसल रुपये में चार आने भरसे भी कम रह गई है । मैंने यह भी पाया कि रैयतके बहुत से लोगोंके था।

 
  1. मूल परिपत्र गुजरातीमें था । गुजरातीने इसे अपने ३१-३-१९१८ के अंकमें प्रकाशित किया 'बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्टस' में खेड़ा के जिला मजिस्ट्रेटका जो नोट छापा गया था, उसके अनुसार २७ मार्चको दिल्लीसे नडियाद लौटनेके बादसे गांधीजी कई परिपत्र जारी करनेमें व्यस्त रहे । पहला परिपत्र जिले भर में दीवारों पर लगाया गया था। उसकी प्रति अब अप्राप्य है । उसमें किसानोंसे कहा गया था कि वे सरकार की दमनकारी कार्रवाईके बारेमें गांधीजीसे लिखा-पढ़ी करें। यह परिपत्र भी जारी किये गये उन अनेक परिपत्रों में से एक है ।