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ई,,ड़ाकी परिस्थितिके बारेमें परिपत्र'

पास पैसा नहीं है और अन्नकी बहुत-सी खत्तियाँ बिल्कुल रीती पड़ी हैं, और यह भी कि इस जिलेमें कई किसान अपने खानेके लिए यहाँ पैदा होनेवाले अन्नके स्थानपर बाहरसे बड़े पैमानेपर मकई मँगाकर काम चला रहे हैं। मैंने यहाँतक देखा है कि जहाँ लोगोंने लगान अदा कर भी दिया है, वह तलाटी इत्यादिके भयसे ही किया । कई स्थानोंपर जनताने अपने पेड़ इत्यादि बेचकर लगान भरा है । मैंने यह भी पाया है कि जनता बहुत ही अधिक बढ़ी हुई कीमतोंके बोझसे कराह रही है। इतना ही नहीं लोग प्लेग फैरनेके डरसे झोंपड़ियोंमें अत्यधिक चिन्तित रहते हैं।[१]कलक्टर और कमिश्नरको ये सभी तथ्य बतला दिये गये हैं; उन्होंने कुछ रियायतें भी दी हैं । पर लोगोंकी आवश्यकताओंको देखते हुए वे नगण्यसी हैं। ऐसी परिस्थितिमें जनताको केवल एक ही सलाह दी जा सकती है, वह यह कि अपनी सचाई सिद्ध करनेके लिए उनको लगान तो अदा नहीं करना चाहिए। पर यदि सरकार उनकी सम्पत्ति बेचकर लगान वसूल करना चाहे तो उसे करने देना चाहिए। भयके कारण लगान अदा करके अपनेको झूठा साबित करनेसे कहीं अच्छा है कि लगान अदा न करके अपना सर्वस्व होम होने दिया जाये । जो भी हो, जनताको मेरी तो यही पक्की सलाह है कि उसे लगान अदा नहीं करना चाहिए और उसके फलस्वरूप होनेवाले सभी कष्ट और जुल्म उसे बर्दाश्त करने चाहिए। सरकारको लोकमतके आगे सिर झुकाना पड़ेगा, लेकिन यह तभी होगा जब अपने आचरणसे जनता सरकारको अपनी रायका सम्मान करना सिखायेगी। कई प्रमुख सज्जन इस संघर्ष में जनताकी सहायता करने के लिए तैयार हैं, और यदि किसीको घरसे बेदखल किया गया है तो उसके रहने और खानेका प्रबन्ध भी किया गया है । लगानकी अदायगी न करनेका साहस जिन लोगोंमें है, उनके हस्ताक्षरोंके लिए प्रतिज्ञा पत्र जारी किये जा चुके हैं। आशा है कि वे सभी किसान उनपर हस्ताक्षर करेंगे जिन्होंने अभी लगान अदा नहीं किया है । मेरी यही सलाह है कि हस्ताक्षर करनेसे पहले ही भलीभाँति विचार कर लेना चाहिए, परन्तु यह याद रखना चाहिए कि एक बार हस्ताक्षर कर देनेके बाद फिर पैर पीछे नहीं हटाना है ।

मो० क० गांधी

[ अंग्रेजीसे ]
बॉम्बे सीक्रेट एक्स्ट्रैक्ट्स
 
  1. गुजराती द्वारा प्रकाशित विवरणमें यह वाक्य नहीं है ।