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प्राचीन सभ्यता

भाषाकी जैसी सेवा हमारे राजा-महाराजा लोग कर सकते हैं, वैसी अंग्रेज सरकार नहीं कर सकती । महाराजा होल्करकी कौंसिलमें, कचहरीमें और हरएक काममें हिन्दीका और प्रान्तीय बोलीका ही प्रयोग होना चाहिए। उनके उत्तेजनसे भाषा और बहुत ही बढ़ सकती है । इस राज्यकी पाठशालाओंमें शुरू से आखिर तक सब तालीम मादरी जबान में देनेका प्रयोग होना चाहिए। हमारे राजा-महाराजाओंसे भाषाकी बड़ी भारी सेवा हो सकती है। मैं उम्मीद रखता हूँ कि होल्कर महाराज और उनके अधिकारी-वर्ग इस महान् कार्यको उत्साहसे उठा लेंगे ।[१]

ऐसे सम्मेलनसे हमारा सब कार्य सफल होगा, ऐसी समझ भ्रम ही है । जब हम प्रतिदिन इसी कार्यकी धुनमें लगे रहेंगे, तभी इस कार्यकी सिद्धि हो सकेगी। सैकड़ों स्वार्यत्यागी विद्वान् जब इस कार्यको अपनायेंगे तभी सिद्धि सम्भव है ।

मुझे खेद तो यह है कि जिन प्रान्तोंकी मातृभाषा हिन्दी है, वहाँ भी उस भाषाकी उन्नति करनेका उत्साह नहीं दिखाई देता है । उन प्रान्तोंमें हमारे शिक्षित वर्ग आपस में पत्र-व्यवहार और बातचीत अंग्रेजीमें करते हैं। एक भाई लिखते हैं कि हमारे अखबार चलानेवाले अपना व्यवहार अंग्रेजीकी मारफत करते हैं। अपने हिसाब-किताब वे अंग्रेजीमें ही रखते हैं । फ्रांसमें रहनेवाले अंग्रेज अपना सब व्यवहार अंग्रेजीमें रखते हैं । हम अपने देशमें अपने महत् कार्य विदेशी भाषामें करते हैं । मेरा नम्र लेकिन दृढ़ अभिप्राय है कि जबतक हम हिन्दी भाषाको राष्ट्रीय और अपनी-अपनी प्रान्तीय भाषाओंको उनका योग्य स्थान नहीं देते, तबतक स्वराज्यकी सब बातें निरर्थक हैं । इस सम्मेलन द्वारा भारतवर्षके इस बड़े प्रश्नका निराकरण हो जाये, ऐसी मेरी आशा है और प्रभुके प्रति प्रार्थना है।

राष्ट्रभाषा - हिन्दुस्तानी

१९७. प्राचीन सभ्यता

इन्दौर
मार्च ३०, १९१८[२]

३० मार्च, १९१८ को इन्दौरमें व्याख्यान मालाकी ओरसे दत्त मन्दिरके विशाल मैदान में महात्मा गांधीका एक महत्त्वपूर्ण भाषण हुआ था । संसारमें आजकल जो परिवर्तन हो रहा है उसकी ओर लक्ष्य करके आपने कहा :

हमारे मनमें ये विचार आते हैं कि यूरोपमें जैसा परिवर्तन होगा, हिन्दुस्तान में भी वैसा ही होगा । जब कोई बड़ा परिवर्तन होता है उस समय जो लोग यह समझ लेते हैं कि किस प्रकार उस परिवर्तनके लिए तैयारी करनी चाहिए, वे जीतते हैं; जो लोग

 
  1. २-४-१९१८के बॉम्बे क्रॉनिकलके एक समाचारके अनुसार, गांधीजीने हिन्दी-प्रचारार्थं दस हजार रुपयेके दानके लिये महाराजा होल्करको धन्यवाद दिया ।
  2. यात्रा-क्रमके अनुसार तिथि निर्धारित की गई है।