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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

और छः आनेके बीच फसल हो तो आधा लगान मुलतवी किया जाना चाहिए। कितने ही लोगोंकी फसल चार आनेसे कम हुई है, फिर भी उनमें से कुछ लोग अपना लगान आधा दे चुके हैं। बाकी लगान नहीं देना है, यही हमारी लड़ाईका उद्देश्य है। सरकारका कहना है कि बहुत जगह फसल छः आनेसे अधिक हुई है। इसपर हमने न्यायकी दृष्टि से सरकारसे पंच नियुक्त करनेका निवेदन किया; किन्तु उसने हमारे निवेदनको अस्वीकार कर दिया। किन्तु यहाँ प्रश्न केवल लगानका ही नहीं है। मुझे तो यह देखकर दुःख होता है कि सरकार सदा अपनी बात सच्ची बताती है और लोगोंकी सदा झूठी। यह गुलामीकी हालत है। हम अब उसे सहन न करेंगे; हरगिज सहन करना नहीं चाहते। आपकी इच्छा यही होनी चाहिए। आपको स्वतन्त्रताका सुख प्राप्त कराना इस लड़ाईका उद्देश्य है। यह संघर्ष प्रजा-हठ और राज-हठके बीच है। हमारा हठ सच्चा है, इसीलिए हम उसे सत्याग्रह कहते हैं। यदि सरकार इस लड़ाई में हमारी समस्त सम्पत्तिको कुर्क कर ले और हम फिर भी लगान न दें तो जीत हमारी ही होगी। स्त्रियाँ भी अपने पतियोंको यही सलाह दें। यदि हमारी फसल कम हो और सरकार उसे अधिक बताये तो हमें अपनी सच्ची बातपर कायम रहना चाहिए। यदि दूसरोंसे डरकर कोई ऐसा काम करे जो उसे नहीं करना चाहिए तो उसकी आत्मा पतित हो जाती है। यदि वह डरसे अकर्त्तव्य न करे तो यह उसका पौरुष और वीरत्व होगा। हम गुलाम नहीं हैं, बल्कि स्वतन्त्र हैं। सरकार कहती है कि यदि वह लोगोंको एक बार सिर उठाने देगी तो वे अपना सिर सदा ऊँचा ही रखेंगे। किन्तु लोगोंके पास अपना सिर व्यर्थ ऊँचा उठानेका समय नहीं है। उनका बहुत-सा समय अपनी रोटी कमाने में ही चला जाता है। हम तो स्वयं कष्ट उठाकर लड़ रहे हैं। यदि कोई करोड़पति आपका लगान स्वयं दे देनेका प्रस्ताव करे तो आप उसे माननेसे साफ इनकार कर दें। ऐसी सहायतासे हम गिरेंगे। लोगोंको अपने बल-बूतेपर ही लड़ना चाहिए। उन्हें दुःखमें सुख मानना चाहिए। मेरी सहायता तो इतनी ही होगी कि मैं आपके दुःखमें भागी रहूँगा। मैं आपको अपने अनुभव और परामर्शका लाभ दूँगा। इसके अलावा में और कोई सहायता नहीं दे सकता। लड़ाई तो आपको ही लड़नी है। यदि आपको सुख और शांति न मिले तो हम भी आपके दुःख-सुखके भागी होंगे। आपके चारों ओर आग धधक रही हो तो हम कैसे सुखी हो सकते हैं। आप कदाचित् इन नोटिसोंसे घबरायें और फसल जब्त होनेके भयसे काँप उठें; किन्तु यदि आप इनका सामना शांतिपूर्वक और मुसकराते चेहरेसे करेंगे तो सरकार दूसरी बार ऐसा न कर सकेगी। सरकार आपको भयभीत करनेके लिए यह सब कर रही है। हमारे धर्मशास्त्रोंमें सत्यकी खातिर कष्ट सहनेके अनेक उदाहरण मिलते हैं।

यदि लिम्बासीके किसान सत्यके निमित्त बरबाद हो जायेंगे तो हम कहेंगे कि राजा नलकी कहानी सच्ची है। यह भी कहा जायेगा कि लिम्बासीमें आज सैकड़ों राजा नल हैं। खलिहानोंको जब्त हो जाने दें और जमीनोंको भी। जिस दिन हम अपनी जमीनें जब्त हो जानेपर प्रसन्न होकर ढोल बजाते हुए गाँवसे बाहर निकलेंगे, वह दिन सोनेका दिन होगा, क्योंकि उसी दिन यह सिद्ध होगा कि हमारी प्रतिज्ञा पूरी हो गई। जो लोग बरबाद होंगे उन्हें हम भूखों न मरने देंगे। यदि आपको लंघन करना पड़ेगा तो आपके